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समाज में जागरूकता और आध्यात्मिकता से डायन व बलि प्रथा का अंत संभव

 

न्यूज़ लहर संवाददाता

जमशेदपुर। गदरा बस्ती में आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा गुरुवार को आयोजित तत्व सभा में ग्रामीणों के बीच 100 फलदार पौधे वितरित किए गए और डायन प्रथा व बलि प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता फैलाई गई। सभा में सुनील आनंद ने कहा कि डायन प्रथा और बलि प्रथा अर्ध-विकसित समाज की मानसिक बीमारी हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उन्होंने बताया कि मन से कमजोर और अंधविश्वासी लोग ही इन पर विश्वास करते हैं, जिससे समाज में भय, हिंसा और महिलाओं के प्रति अत्याचार बढ़ता है।

समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए जरूरी है कि लोग अपने मन की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएँ और परमात्मा को अपने भीतर जानें। आध्यात्मिक क्रियाएँ, जैसे कीर्तन और भजन, मनुष्य को आत्मबल और विवेक देती हैं, जिससे वह अंधविश्वास से ऊपर उठ सकता है।

सुनील आनंद ने ग्रामीणों को ओझा-गुनी और झाड़-फूंक से दूर रहने तथा बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल जाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बलि प्रथा और डायन प्रथा समाज के लिए जहर हैं और इनका अंत शिक्षा, जागरूकता और आध्यात्मिकता से ही संभव है।

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