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भाजपा का टीएसी बैठक से बहिष्कार: चंपई सोरेन ने सरकार पर साधा निशाना पूर्व मुख्यमंत्री बोले – नशा के समर्थन में नहीं होंगे शामिल, सरकार ने तोड़ी परंपरा

 

 

जमशेदपुर। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने आदिवासी परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की आगामी बैठक को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने टीएसी की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

 

चंपई सोरेन ने कहा कि टीएसी का गठन राज्यपाल के संरक्षण में करने की परंपरा रही है, लेकिन वर्तमान सरकार ने इस लोकतांत्रिक परंपरा को तोड़कर एक अनुचित मिसाल पेश की है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब यह संस्था आदिवासियों के हित में काम करने के लिए बनी है, तो फिर इसकी बैठकों के कोई ठोस परिणाम क्यों नहीं दिखते?

 

पूर्व मुख्यमंत्री ने समिति की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि टीएसी में सरकार का बहुमत होते हुए भी पिछले कई वर्षों से पंचायतों (PESA) और अन्य आदिवासी मामलों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने इसे सरकार के “ढुलमुल रवैये” का परिणाम बताया।

 

चंपई सोरेन ने यह भी बताया कि मंगलवार को होने वाली टीएसी बैठक में आदिवासी बहुल गांवों में शराब की दुकानें और बार खोलने का लाइसेंस देने का प्रस्ताव शामिल है। उन्होंने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि उनके सामाजिक जीवन की शुरुआत नशा विरोधी आंदोलन से हुई थी, और वे ऐसी किसी बैठक में शामिल नहीं हो सकते जहां झारखंड की युवा पीढ़ी को नशे की ओर धकेलने वाले फैसले लिए जा रहे हों।

 

उन्होंने साफ तौर पर कहा, “ऐसे दस्तावेजों पर मुहर लगाने वाली बैठक में शामिल होना मेरे लिए संभव नहीं है।”

 

चंपई सोरेन के इस बयान के बाद झारखंड की सियासत में टीएसी की भूमिका, उसकी निष्पक्षता और सरकार की नीतियों पर नई बहस शुरू हो गई है।

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