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आदिवासी क्षेत्रों में शराब दुकान खोलने के विरोध में ‘हो’ समाज महिला महासभा ने उठाई आवाज, सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग

 

चाईबासा: आदिवासी क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति से शराब दुकानें खोलने के फैसले के खिलाफ अब विरोध तेज हो गया है। इस मुद्दे पर आदिवासी ‘हो’ समाज महिला महासभा ने कड़ा रुख अपनाया है। गुरुवार को कला एवं संस्कृति भवन, हरिगुटु में महासभा की एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय अध्यक्ष श्रीमती अंजू सामड ने की।

बैठक में महासभा की सदस्यों ने ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (TAC) के फैसले पर गंभीर आपत्ति जताई और इसे आदिवासी समाज के अस्तित्व और संस्कृति पर सीधा हमला बताया। उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में शराब दुकानों की अनुमति देना, समाज को नशे की ओर धकेलने का षड्यंत्र है।

महिलाओं ने कहा कि आज परंपरागत पेय जैसे हड़िया और महुआ का भी बाजारीकरण और दुरुपयोग हो रहा है। यह न केवल संस्कृति का अपमान है, बल्कि इसके कारण बलात्कार, चोरी, मारपीट, जमीन विवाद, डायन प्रथा जैसे अपराधों और कुप्रथाओं में वृद्धि हो रही है।

महासभा की सदस्यों ने यह भी स्पष्ट किया कि जब प्रशासन और समाज मिलकर नशे की रोकथाम में असफल हो रहे हैं, तो ऐसे में सरकार द्वारा शराब दुकानों को वैधता देना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आदिवासी क्षेत्रों को विदेशी शराब की गिरफ्त में लाकर सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर करना चाहती है।

महिला महासभा ने राज्य सरकार और टीएसी से मांग की है कि शराब दुकानें खोलने का यह फैसला तत्काल रद्द किया जाए और आदिवासी क्षेत्रों को “शराब मुक्त आदर्श समाज” के रूप में विकसित किया जाए।

बैठक में उपाध्यक्ष नागेश्वरी जारिका, सचिव विमला हेम्ब्रम, कोषाध्यक्ष इंदु हेम्ब्रम, शिक्षा सचिव विनीता पुरती, सह-कोषाध्यक्ष रोशन रानी पाड़ेया, उप-शिक्षा सचिव विरंग पुरती, सदस्य प्रमिला बिरुवा, लक्ष्मी हेम्ब्रम, यशमती सिंकू, सुशीला सिंकू सहित कई महिलाएं उपस्थित थीं।

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