ममता को पीछे छोड़ गई मोहब्बत”: तीन बच्चों को छोड़ प्रेमी के संग भागी मां, पति की सड़क पर विनती भी नहीं पिघला सकी दिल*
जमशेदपुर: प्रेम जो कभी त्याग, समर्पण और भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक था—आज एक ऐसी स्थिति में आ खड़ा हुआ है जहाँ उसके नाम पर रिश्ते, ममता और परिवार को भी पीछे छोड़ दिया जा रहा है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला दृश्य जमशेदपुर के साकची गोलचक्कर पर देखने को मिला, जहाँ एक मां अपने तीन मासूम बच्चों को छोड़ प्रेमी के संग भाग गई और जब पति ने उसे सड़क पर देखा, तो जो मंजर सामने आया उसने वहां मौजूद हर व्यक्ति को अंदर तक झकझोर दिया।
*पति की सड़क पर गिड़गिड़ाहट, भीड़ की आंखें नम:*
घटना उस समय की है जब महिला का पति साकची गोलचक्कर पर अपनी पत्नी से आमना-सामना कर बैठा। महिला अपने प्रेमी के साथ थी। पति ने उसे पहचानते ही रोक लिया और उसके पास जाकर करुण स्वर में उससे विनती करने लगा—
> “तुम्हारे बच्चे बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं, मत छोड़ो उन्हें… घर चलो… माफ कर दूंगा… सिर्फ बच्चों के लिए सही फैसला लो।”
उसकी आँखों में आँसू थे, शब्दों में अपार पीड़ा। लेकिन महिला अपने फैसले पर अडिग रही। उसने साफ शब्दों में पति के साथ लौटने से इनकार कर दिया।
*भीड़ का जमावड़ा और भावनाओं का विस्फोट:*
पति-पत्नी के इस संवाद को सुनते हुए वहाँ राह चलते लोग भीड़ का रूप ले बैठे। कुछ ने महिला को समझाने की कोशिश की, कुछ ने बच्चों का हवाला दिया। “माँ के बिना बच्चे अधूरे हैं”, जैसी आवाजें गूंजने लगीं। लेकिन हजारों की भीड़, सैकड़ों अपीलें और पति की विनती भी महिला का मन नहीं बदल सकीं।
*समाज के सामने कई सवाल:*
इस घटना ने समाज को कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्या प्रेम की आंधी रिश्तों की बुनियाद को हिला सकती है? क्या एक मां अपने कोख से जन्मे बच्चों को इस तरह पीछे छोड़ सकती है? यह सिर्फ एक पारिवारिक मसला नहीं, बल्कि समाज के नैतिक ढांचे पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:
घटना से आहत एक महिला दर्शक ने कहा,
> “हमने ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा। बच्चों की खातिर भी अगर कोई मां नहीं पिघले, तो यह समाज के लिए खतरनाक संकेत है।”
प्रशासनिक हस्तक्षेप नहीं हुआ:
हालाँकि मामला व्यक्तिगत था और कोई आपराधिक गतिविधि शामिल नहीं थी, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण होते देख कुछ समय के लिए स्थानीय पुलिस बल की गश्ती टीम मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में रखा।
*निष्कर्ष:*
यह घटना सिर्फ एक परिवार की टूटन नहीं, समाज के बदलते मूल्यों और इंसानी रिश्तों की विघटनशीलता की एक झलक है। जहां भावनाएं गहराई से नहीं, सतह पर तैरने लगी हैं—और उनके बहाव में कभी-कभी मासूम रिश्ते बह जाते हैं।