नोवामुंडी कॉलेज में आर्थिक विकास में प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व” विषय पर सेमिनार सेमिनार से बच्चों का आत्मविश्वास और प्रस्तुति कौशल मजबूत होता है—डॉ. मनोजित विश्वास

न्यूज़ लहर संवाददाता
गुवा:नोवामुंडी कॉलेज में प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास के मार्गदर्शन एवं अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. परमानंद महतो की अध्यक्षता में “आर्थिक विकास में प्राकृतिक संसाधनों का महत्त्व” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन डिजिटल कक्षा में किया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के महत्व, उनके विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण की आवश्यकता पर जागरूकता पैदा करना था।
इस अवसर पर प्राचार्य ने छात्रों को सेमिनार के महत्व को समझाते हुए कहा कि सेमिनार छात्रों को किसी भी विषय पर गहराई से सोचने, विचार करने और और अपनी राय रखने का अवसर प्रदान करता है।सेमिनार में जब छात्र अपने विचारों को सबके सामने प्रस्तुत करते हैं,तो उनका आत्मविश्वास और प्रस्तुति कौशल मजबूत होता है।
उन्होंने अर्थशास्त्र के विभागीय सेमिनार पर आयोजित विषय पर कहा कि प्राकृतिक संसाधन किसी भी राष्ट्र के आर्थिक विकास की आधारशिला होते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग और संरक्षण न केवल आर्थिक प्रगति को गति देता है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए विकास का मार्ग भी प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि जल, जीवन और जमीन—इन तीनों ‘ज’ पर ही पूरी दुनिया टिकी हुई है। जल हमारे अस्तित्व का आधार है, जीवन उसका विस्तार है और जमीन जीवन का आधार है।
इन तीनों के संतुलन से ही विकास संभव है। यदि हम इनका दोहन या दुरुपयोग करते हैं, तो न केवल प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है, बल्कि समग्र विकास भी बाधित होता है। इसीलिए, हमें इन तीनों की महत्ता को समझना और उन्हें संरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है।
अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. परमानंद महतो ने दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में तीव्र गति से बढ़ रही जनसंख्या पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का मुख्य कारण जनसंख्या का तेज़ी से बढ़ना है।
वहीं अर्थशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक दिवाकर गोप ने प्राकृतिक संसाधनों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि किसी भी देश का विकास प्राकृतिक संसाधनों के बिना संभव नहीं है। इसलिए इनके क्षरण या अंधाधुंध दोहन पर नियंत्रण आवश्यक है।
कार्यक्रम में उपस्थित अर्थशास्त्र विभाग के प्रतिभागी छात्र-छात्रों ने भी इस विषय पर अपने-अपने विचार साझा किए, जिससे सेमिनार और भी जीवंत और सार्थक बन गया। छात्रों के विचारों से न केवल विषय की गंभीरता उजागर हुई, बल्कि उनके पर्यावरणीय और आर्थिक दृष्टिकोण में भी परिपक्वता का परिचय मिला।
कार्यक्रम के अंत में एक कुशल वक्ता के रूप में अपने विचार साझा करने के लिए प्राचार्य डॉ. मनोजित विश्वास के हाथों समिता गोप को प्रथम पुरस्कार और राजकिशोर तिरिया को द्वितीय पुरस्कार स्वरूप पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस सम्मान से छात्रों का उत्साह और आत्मविश्वास और भी बढ़ गया।
इस अवसर पर प्रतिभागी छात्र- छात्राओं में नमिता गोप, संजना चातोम्बा, भजमति लागूरी,जितेंद्र पुरती, आशिक गोप,अनीता चातोम्बा,सुरू बोबोंगा,राजकिशोर तिरिया आदि ने अपने विचार साझा किए।
शिक्षकों में प्रो. परमानंद महतो,दिवाकर गोप, साबिद हुसैन, डॉ. मुकेश कुमार सिंह, राजकरण यादव, धनिराम महतो, संतोष पाठक, नरेश पान,तन्मय मंडल, भवानी कुमारी, शांति पुरती, सुमन चातोम्बा, हीरा चातोम्बा,मंजूलता सिंकू आदि उपस्थित थे।