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संविधान बचाओ” रैली पर भाजपा का पलटवार: कांग्रेस पर संविधान से खिलवाड़ के आरोप, ऐतिहासिक संशोधनों का जिक्र

 

चाईबासा: कांग्रेस द्वारा देशभर में चलाए जा रहे “संविधान बचाओ” अभियान पर राजनीतिक माहौल गरमाता जा रहा है। झारखंड के पूर्व मंत्री और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जो पार्टी दशकों से संविधान के साथ खिलवाड़ करती आई है, वही अब “संविधान बचाओ” की बात कर रही है। उन्होंने इसे कांग्रेस की राजनीतिक अवसरवादिता करार देते हुए कई ऐतिहासिक उदाहरणों के साथ आरोप लगाए।
श्री गागराई ने कहा, “इतिहास गवाह है कि कांग्रेस ने जब-जब मौका पाया, संविधान के मूल स्वरूप में मनमाने तरीके से बदलाव किए। चाहे बात देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की हो या फिर इंदिरा गांधी की, संविधान का दुरुपयोग कांग्रेस के शासन में एक चलन बन गया था।”

नेहरू काल में 17 बार बदला गया संविधान
भारतीय गणराज्य की स्थापना के बाद केवल 14 वर्षों में संविधान में 17 संशोधन किए गए, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री कार्यकाल (1947–1964) के दौरान हुए। पहला संशोधन 1951 में हुआ था, जिसे तत्कालीन सरकार ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण और भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के लिए लाया था।

प्रथम संविधान संशोधन अधिनियम, 1951
तारीख: 18 जून 1951
मुख्य प्रावधान: अनुच्छेद 19(2) में “यथोचित प्रतिबंध” जोड़ना, भूमि सुधार को न्यायिक समीक्षा से बाहर करना।

इस संशोधन की आलोचना स्वयं संविधान निर्माताओं के बीच हुई थी, और इसे डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी अनिच्छा से समर्थन दिया था।

इंदिरा गांधी के शासनकाल और आपातकाल की काली छाया
गागराई ने विशेष रूप से 1975-77 के आपातकाल कालखंड का उल्लेख किया, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के मूल ढांचे को प्रभावित करने वाले कई संशोधन पारित कराए।

42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976
तारीख: 18 दिसंबर 1976
विशेषताएं:

“समाजवादी”, “धर्मनिरपेक्ष”, और “राष्ट्रीय एकता” शब्दों को प्रस्तावना में जोड़ा गया।

कार्यपालिका को अधिक शक्तियाँ दी गईं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को सीमित किया गया।

नागरिकों के कर्तव्यों को पहली बार संविधान में शामिल किया गया।

इस संशोधन को व्यापक रूप से “मिनी संविधान” के रूप में जाना गया और इसे भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर सबसे बड़ा हमला माना जाता है।

कुल 80 से अधिक संशोधन कांग्रेस शासन में
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा चुनावों के दौरान कहा था कि “कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में 80 बार संविधान में बदलाव किए हैं।” यह आंकड़ा उस समय आया जब विपक्ष भाजपा पर संविधान को बदलने की मंशा के आरोप लगा रहा था। कानूनी टिप्पणीकार अनंत कृष्ण के अनुसार, “डॉ. अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए मूल संविधान में 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश कांग्रेस शासन के दौरान हुए।”

भाजपा का तंज: अंबेडकर का नाम लेकर राजनीति
गागराई ने कहा कि कांग्रेस आज बाबा साहेब अंबेडकर के नाम पर संविधान की रक्षा की बात करती है, लेकिन इतिहास गवाह है कि सबसे ज्यादा उपेक्षा भी उसी पार्टी ने की। “जो लोग अंबेडकर की जय-जयकार करते हैं, वही उनके बनाए संविधान की आत्मा के खिलाफ काम करते रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “संविधान से देश चले, यह हर भारतीय की भावना है। लेकिन संविधान से खेलने वालों को यह नैतिकता नहीं सिखाता कि वे इसके रक्षक बनने का ढोंग करें।”
निष्कर्ष:
कांग्रेस के “संविधान बचाओ” रैली पर भाजपा का तीखा हमला न केवल वर्तमान राजनीतिक विमर्श को गरमाता है, बल्कि भारतीय संवैधानिक इतिहास के उन अध्यायों को भी पुनर्जीवित करता है, जो सत्ताओं के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमलों से भरे रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इतिहास से सबक लेते हुए राजनीतिक दल संविधान को राजनीति से ऊपर रखने का संकल्प लेंगे?

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