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रेलवे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पदापहाड़ के ग्रामीणों का चाईबासा में जोरदार प्रदर्शन 70 किमी पैदल चलकर रैयतों ने उठाई मुआवजा और पुनर्वास की मांग

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: थर्ड लाइन रेलवे परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण का विरोध करते हुए पश्चिम सिंहभूम के पदापहाड़ गांव से सैकड़ों रैयतों ने बुधवार को चाईबासा जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया। ग्रामीण लगभग 70 किलोमीटर की पदयात्रा कर पहुंचे और जिला प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

नेतृत्व में पूर्व विधायक, उठे कई गंभीर सवाल
इस आंदोलन का नेतृत्व पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने किया। उन्होंने कहा कि पादापहाड़ देश का ऐसा रेलवे स्टेशन है, जहां आज तक प्लेटफॉर्म नहीं बना, लेकिन यहां से करोड़ों टन लौह अयस्क का परिवहन होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासी समुदाय के पारंपरिक श्मशान “शासनदीरी” को रेलवे प्रभावित कर रही है, जो अस्वीकार्य है।

अतीत की अनियमितताओं का हवाला
झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष ने 2017 के अमाडिया गांव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां मुआवजा नाममात्र मिला और नौकरी का वादा अधूरा रह गया। ग्रामीण लक्ष्मण बालमुचू ने 2009 की भर्ती प्रक्रिया में भेदभाव का आरोप लगाया, जहां 24 चयनितों में से केवल 16 को नौकरी मिली।

मुआवजा और नौकरी की मांग
संघ के अध्यक्ष राजेंद्र बालमुचू ने बताया कि फरवरी 2023–24 में भू-अर्जन विभाग ने 72 रैयतों को चिन्हित किया, जिनमें से 23 को पहले मुआवजा व नौकरी देने और शेष 49 को 10 दिन में क्षतिपूर्ति देने की मांग की गई।
अशोक पान ने विशेष परियोजना के तहत 1 डिसमिल भूमि के बदले ₹5 लाख मुआवजा और एक नौकरी की मांग रखी।

ग्रामसभा की सहमति के बिना अधिग्रहण नहीं
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि अब ग्रामसभा की स्वीकृति के बिना एक इंच जमीन भी रेलवे को नहीं दी जाएगी। आंदोलन में ग्रामीणों की एकजुटता और आक्रोश साफ नजर आया।

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