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200 यूनिट फ्री बिजली सिर्फ जुमला, झारखंड सरकार कर रही है जनता को गुमराह”: महेंद्र जामुदा पूर्व विधानसभा प्रत्याशी ने बिजली बिल के सॉफ्टवेयर सिस्टम को लेकर उठाए गंभीर सवाल, कहा- आदिवासियों-मूलवासियों को बनाया जा रहा है मूर्ख

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: झारखंड सरकार द्वारा प्रत्येक परिवार को हर महीने 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने के वादे को लेकर सियासत गरमाती जा रही है। मनोहरपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व प्रत्याशी महेंद्र जामुदा ने इसे एक राजनीतिक छलावा और जुमलेबाजी करार दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) आदिवासियों और मूलवासियों को बार-बार ठगने का काम कर रही है।

महेंद्र जामुदा ने कहा कि चुनाव से पहले स्थानीय नीति, पेसा कानून, कुजू डैम परियोजना और मुफ्त बिजली जैसे तमाम लोकलुभावन वादे किए गए, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। खास तौर पर 200 यूनिट मुफ्त बिजली योजना का सच अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है।

उन्होंने बताया कि झारखंड विद्युत विभाग द्वारा उपयोग किए जा रहे सॉफ़्टवेयर सिस्टम में ऐसी खामियां हैं, जिससे उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का लाभ मिलने के बावजूद पूरा बिल चुकाना पड़ सकता है। जामुदा ने उदाहरण देते हुए कहा,
“अगर उपभोक्ता रोजाना औसतन 6.57 यूनिट से ज्यादा बिजली उपयोग करता है, तो 21 दिन के भीतर ही 138 यूनिट से ज्यादा उपभोग हो जाएगा। और यदि 22वें या 23वें दिन कुल उपभोग 200 यूनिट से थोड़ा भी अधिक हुआ, तो पूरे महीने का बिल उपभोक्ता से वसूला जाएगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह साफ तौर पर एक तकनीकी भ्रमजाल है, जिससे झारखंड के सामान्य, खासकर गांवों में रहने वाले आदिवासी और मूलवासी परिवार अनजान हैं। जामुदा ने तंज कसते हुए कहा, “अबुआ राज, अबुआ ढीशुम” कहने वाली सरकार अपने ही लोगों के साथ छल कर रही है।

उन्होंने झामुमो पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पार्टी आदिवासी भावनाओं और अधिकारों का राजनीतिक उपयोग कर, सत्ता की भूख में लोगों को भ्रमित कर रही है।

महेंद्र जामुदा ने झारखंड सरकार से मांग की कि बिजली योजना को पारदर्शी और जनहितकारी रूप में लागू किया जाए और उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी दी जाए ताकि वे सॉफ्टवेयर आधारित बिलिंग प्रणाली के झांसे में न आएं।

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