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21वीं सदी में अंधविश्वास की बलि चढ़ी कौशल्या महतो, न्याय की प्रतीक्षा जारी

न्यूज़ लहर संवाददाता
सरायकेला।देश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है, लेकिन समाज के कुछ हिस्सों में आज भी अंधविश्वास और रूढ़िवादिता की जड़ें गहरी हैं। झारखंड के गम्हरिया प्रखंड के गायत्री नगर की विधवा कौशल्या महतो इसका ताजा उदाहरण हैं। कौशल्या को उनके पड़ोसियों ने डायन बताकर न सिर्फ सामाजिक बहिष्कार किया, बल्कि उनके घर आने-जाने वालों का रास्ता भी रोक दिया गया।

बताया जाता है कि पड़ोसी दिलीप घोष की नजर कौशल्या की संपत्ति पर है। उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण पुलिस-प्रशासन भी कार्रवाई करने से कतरा रहा है। जबकि झारखंड में डायन कुप्रथा के खिलाफ सख्त कानून लागू है, फिर भी पीड़िता को अब तक न्याय नहीं मिल पाया है।

इस घटना की जानकारी मिलते ही डायन कुप्रथा के खिलाफ लड़ने वाली और पद्मश्री से सम्मानित छुटनी महतो कौशल्या के समर्थन में सामने आईं। उन्होंने पीड़िता को उपायुक्त कार्यालय पहुंचाया और न्याय की मांग की। उपायुक्त ने बीडीओ और थाना प्रभारी को जांच का निर्देश दिया, लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी कौशल्या को इंसाफ नहीं मिला है।

यह मामला न केवल महिला सुरक्षा, बल्कि प्रशासन और समाज की संवेदनशीलता पर भी सवाल उठाता है। जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी और प्रशासन निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करेगा, तब तक कौशल्या जैसी महिलाओं को न्याय मिलना मुश्किल रहेगा। 21वीं सदी के भारत में ऐसी घटनाएं चिंता का विषय हैं और बदलाव की सख्त जरूरत है।

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