“हेमंत सरकार, जो कहा वो करो!”—झारखंड जनाधिकार महासभा का रांची में जोरदार प्रदर्शन राज्य भर से जुटे 2500 से अधिक आदिवासी-मूलवासी, सरकार पर चुनावी वादे न निभाने का लगाया आरोप

न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची: झारखंड जनाधिकार महासभा के बैनर तले शुक्रवार को रांची में हजारों की संख्या में आदिवासी-मूलवासी जुटे और राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। “हेमंत सरकार, जो कहा वो करो!” के नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने राज्य सरकार पर चुनावी वादे और जनघोषणाओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। राजधानी के राज्य भवन के पास आयोजित इस एक दिवसीय धरने में झारखंड के सभी जिलों से आए करीब 2500 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।
धरने की शुरुआत में एलीना होरो और आलोका कुजूर ने 2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन सरकार द्वारा किए गए जल, जंगल, जमीन, पहचान और स्वशासन से जुड़े वादों को याद दिलाते हुए कहा कि आज भी आदिवासी-मूलवासी उन्हीं मुद्दों को लेकर सड़क पर हैं। वक्ताओं ने कहा कि सरकार की नीतियां झारखंडी हितों के खिलाफ जा रही हैं।
प्रमुख मुद्दों पर उठी आवाज
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने लैंड बैंक नीति, भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून (2017), PESA कानून की अनदेखी, और ईचा-खरकई डैम जैसे विवादित परियोजनाओं को लेकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया। डेमका सोय, बासिंग हेस्सा और रेयांस सामड जैसे वक्ताओं ने कहा कि सरकार आदिवासी समुदाय के जल-जंगल-जमीन की रक्षा करने के बजाय पूंजीपतियों के हाथों में सौंप रही है।
वन अधिकार और कारावास का मुद्दा भी उठा
लातेहार, पलामू से आये लोगों ने वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टा न मिलने की शिकायत की। हेलन सुंडी और सिराज दत्ता ने कहा कि राज्य की जेलों में 80% कैदी विचाराधीन हैं और अब तक सरकार ने वादा अनुसार इन्हें रिहा करने के लिए कोई पहल नहीं की।
दलितों और अल्पसंख्यकों के हक की भी मांग
धर्म वाल्मीकि ने बताया कि दलितों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आज भी जद्दोजहद करनी पड़ रही है, जिससे वे पढ़ाई और नौकरी से वंचित हो रहे हैं। अफजल अनीस ने राज्य में जारी धार्मिक हिंसा और मॉब लिंचिंग के मामलों पर चिंता जताई और कहा कि गठबंधन सरकार ने इस पर कानून लाने का वादा किया था जो आज तक अधूरा है।
धरने में रखी गईं ये मुख्य मांगे:
भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून (2017) और लैंड बैंक नीति रद्द हो
PESA कानून को पूर्ण रूप से लागू किया जाए
सभी वन अधिकार दावों पर बिना कटौती के पट्टा दिया जाए
भूमिहीन दलितों को जाति प्रमाण पत्र और भूमि का आवंटन हो
स्थानीयता और नियोजन नीति आदिवासी-मूलवासी हित में बनाई जाए
विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जाए और फर्जी मुकदमे खत्म हों
मॉब लिंचिंग के विरुद्ध विशेष कानून बनाया जाए
बच्चों को आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में नियमित रूप से अंडा दिया जाए
धरना रहा शांतिपूर्ण, मगर संदेश था तीखा
धरने का संचालन रिया तूलिका पिंगुआ और दिनेश मुर्मू ने किया। कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, आदिवासी नेताओं और जन संगठनों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेताया कि यदि वादों पर अमल नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।