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श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन एवं बांग्ला भाषा पठन-पाठन को लेकर झारखंड बांग्ला भाषा उन्नयन समिति ने राज्यपाल को सौंपा 2 सूत्री मांग पत्र केंद्रीय पदाधिकारियों ने जताई गहरी चिंता, बांग्ला शिक्षकों की नियुक्ति एवं पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता पर दिया जोर

न्यूज़ लहर संवाददाता
रांची: झारखंड बांग्ला भाषा उन्नयन समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने सोमवार को महामहिम राज्यपाल को एक 2 सूत्री मांग पत्र सौंपते हुए राज्य में बांग्ला भाषा की अनदेखी एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के नाम परिवर्तन के प्रस्ताव का कड़ा विरोध दर्ज कराया। प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की और अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराया।

समिति के पदाधिकारियों ने मांग की कि राज्य के स्कूलों में बांग्ला भाषा के पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा कि आज भी सैकड़ों स्कूलों में बांग्ला माध्यम के छात्रों को शिक्षक और पाठ्यपुस्तकों के अभाव में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। यह स्थिति संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल बांग्ला भाषा के सम्मान के साथ भी अन्याय है।

इसके साथ ही समिति ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के किसी भी प्रयास का विरोध किया। पदाधिकारियों ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी न केवल एक प्रखर शिक्षाविद् और राष्ट्रभक्त थे, बल्कि वे बांग्ला समाज की पहचान और गौरव का प्रतीक हैं। विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तन न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से अनुचित है, बल्कि यह बांग्ला समाज की भावना के विरुद्ध भी है।

समिति के केंद्रीय अध्यक्ष, महासचिव एवं अन्य सदस्यों ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे हस्तक्षेप कर न केवल विश्वविद्यालय के नाम को यथावत रखने की पहल करें, बल्कि राज्य में बांग्ला भाषा की पढ़ाई को मजबूती देने के लिए बांग्ला शिक्षकों की नियुक्ति और पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं।

राज्यपाल ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और संबंधित विभागों से रिपोर्ट मंगवाने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर समिति के कई वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद थे जिन्होंने संयुक्त रूप से इस मांग पत्र को सौंपा।

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