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उरांव समाज संघ चाईबासा में बढ़ा आंतरिक विवाद, क्षेत्रीय कमिटी के खिलाफ दुष्प्रचार पर भड़की सामाजिक एकता की आवाज

 

चाईबासा: उरांव समाज संघ चाईबासा के अंतर्गत कार्यरत क्षेत्रीय कमिटी और कुछ मुखियाओं के बीच चल रहे विवाद ने अब गंभीर मोड़ ले लिया है। धूमकुड़िया नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) के प्रभाव में आकर समाज के कुछ पदाधिकारियों द्वारा समाज विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप सामने आए हैं। क्षेत्रीय कमिटी ने इसे गंभीर, असंवैधानिक और सामाजिक एकता को तोड़ने वाला कृत्य बताया है।

जानकारी के अनुसार, कुछ मुखियाओं ने बिना सार्वजनिक बैठक व प्रस्ताव पारित किए सामाजिक भूमि एवं धार्मिक स्थलों पर टेंडर लेकर ठेकेदारी कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस पर क्षेत्रीय कमिटी द्वारा आपत्ति जताते हुए उन्हें चेतावनी दी गई थी। इससे आहत होकर वे मुखिया अब क्षेत्रीय कमिटी के खिलाफ गोलबंद हो गए हैं और झूठा प्रचार कर रहे हैं कि क्षेत्रीय कमिटी को भंग कर दी गई है और नई कमिटी का गठन हो गया है।

विवाद उस समय और गहरा गया जब पूलहातु सामुदायिक भवन में समाज के पूर्वजों और संस्थापकों की तस्वीरों को हटाकर कचड़े में फेंक दिया गया। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार, यह शर्मनाक कृत्य पूलहातु के मुखिया धर्मा तिग्गा के इशारे पर उनके समर्थकों द्वारा किया गया है। इस कृत्य की क्षेत्रीय कमिटी ने तीव्र आलोचना करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

गौरतलब है कि पिछले 8–10 वर्षों से हर वर्ष 30 जून को पिल्लई हॉल में समाज के महापुरुषों की स्मृति में स्थापना दिवस मनाया जाता रहा है। इस वर्ष भी कार्यक्रम निर्धारित है। लेकिन मुखियाओं द्वारा क्षेत्रीय कमिटी को भंग करने, स्वयं को अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष घोषित करने जैसे नियम विरुद्ध कार्य को लेकर समाज में रोष है।

क्षेत्रीय कमिटी के अध्यक्ष संचू तिर्की और सचिव अनिल लकड़ा ने कहा है कि समाज में गैरकानूनी रूप से भ्रम फैलाने वालों की निंदा की जानी चाहिए। वर्तमान क्षेत्रीय कमिटी का गठन सातों अखाड़ा के सदस्यों द्वारा विधिवत चुनाव के माध्यम से हुआ था और चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने हेतु चुनाव आयुक्त सहदेव किस्पोट्टा एवं उप चुनाव आयुक्त बाबूलाल बरहा की नियुक्ति भी हो चुकी है।

समाज के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपील की है कि समाज के सदस्य किसी प्रकार के भ्रामक सूचना या अफवाह में न आएं और सामाजिक एकता को बनाए रखें।

बैठक में लालू कुजूर, कृष्णा टोप्पो, लक्ष्मण बरहा, दिलीप बरहा, पंकज खलखो, चमरू लकड़ा, सुमित बरहा, विक्रम खलखो, राजकमल लकड़ा, गणेश कच्छप, देशप्रेमी लकड़ा, महावीर बरहा, विजयलक्ष्मी लकड़ा, समेत सैकड़ों समाजसेवी उपस्थित थे।

समाज के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि विकास और सामाजिक मर्यादा तभी संभव है जब एकजुटता बनी रहे, और व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए समाज को बांटने वाले किसी भी प्रयास को सफल नहीं होने दिया जाएगा।

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