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एशिया में सबसे कमजोर पड़ा भारतीय रुपया, मई में रिकॉर्ड गिरावट*

न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली:मई 2025 भारतीय मुद्रा के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। जहां एक ओर ताइवान, कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसी अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी ने मजबूती दिखाई, वहीं भारतीय रुपया एशिया में सबसे कमजोर प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया। ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, टॉप 11 एशियाई देशों में सिर्फ भारत, जापान और हॉन्गकॉन्ग की करेंसी ने नकारात्मक रिटर्न दिया, लेकिन इन तीनों में भी सबसे ज्यादा गिरावट भारतीय रुपए में दर्ज हुई।

अप्रैल में जब भारतीय रुपया एशिया की सबसे मजबूत करेंसी बनकर उभरा था, तब किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था कि अगले ही महीने इसमें इतनी तेज गिरावट देखने को मिलेगी। मई की शुरुआत में रुपया डॉलर के मुकाबले 84.48 के स्तर पर था, लेकिन महीने के अंत तक यह 85.57 तक गिर गया। यानी सिर्फ एक महीने में रुपए की कीमत में 1.27 फीसदी की गिरावट आ गई। यह गिरावट एशिया के अन्य देशों की तुलना में सबसे अधिक रही।

रुपए में इस गिरावट के पीछे कई वजहें रही हैं। वैश्विक स्तर पर व्यापारिक टैरिफ को लेकर अनिश्चितता, भारत की सीमाओं पर तनाव और केंद्रीय बैंक द्वारा आगे और मौद्रिक ढील की उम्मीद ने निवेशकों की धारणा को कमजोर किया। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कच्चे तेल की कीमतों में सुधार ने भी रुपए पर दबाव बनाया। घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और आयातकों की डॉलर की बढ़ती मांग ने भी रुपए की कमजोरी को और गहरा कर दिया।

शिनहान बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख कुणाल सोधानी के अनुसार, टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच लंबी अवधि के लिए रुपए में निवेश करने वाले निवेशक अब सतर्क हो गए हैं। वहीं, इंपोर्टर्स कम एडवांस प्रीमियम का फायदा उठा रहे हैं। अप्रैल की शुरुआत में एक साल के डॉलर-रुपया एडवांस प्रीमियम 2.34 फीसदी थे, जो अब घटकर 1.94 फीसदी रह गए हैं।

दूसरी ओर, ताइवानी डॉलर ने 6.97 फीसदी की मजबूती के साथ एशिया की सबसे बेहतरीन करेंसी का खिताब अपने नाम किया है। कोरियन वोन, इंडोनेशियन रुपया, थाई बाहट, मलेशियन रिंगगिट, सिंगापुर डॉलर, चीनी युआन और फिलिपींस पेसो में भी इस दौरान मजबूती दर्ज की गई। जापानी येन में 0.53 फीसदी और हॉन्गकॉन्ग डॉलर में 1.13 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन भारतीय रुपया इन दोनों से भी ज्यादा टूटा।

शुक्रवार को इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया सात पैसे की गिरावट के साथ 85.55 पर बंद हुआ। घरेलू शेयर बाजार की अस्थिरता और कच्चे तेल की कीमतों में सुधार के चलते रुपया दबाव में रहा। साथ ही, जीडीपी के आंकड़ों के जारी होने से पहले निवेशकों की सतर्कता भी देखने को मिली।

विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल रुपए पर दबाव बना रह सकता है, लेकिन कम महंगाई, विकास की संभावना और डॉलर इंडेक्स में नरमी जैसे कुछ सकारात्मक संकेत आगे चलकर रुपए को सहारा दे सकते हैं। हालांकि, अमेरिकी डॉलर में अचानक तेजी, फेडरल रिजर्व की ब्याज दर नीति में बदलाव या भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में देरी जैसे जोखिम निकट भविष्य में रुपए की कमजोरी को और बढ़ा सकते हैं।

मई 2025 में भारतीय रुपया एशिया की सबसे कमजोर करेंसी साबित हुआ है, जिससे निवेशकों को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, अगर वैश्विक और घरेलू परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं तो आने वाले समय में रुपए में फिर से मजबूती देखने को मिल सकती है। फिलहाल बाजार में सतर्कता की जरूरत है।

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