दलमा सेंचुरी से बाहर निकले हाथियों ने गांवों में मचाया कहर: ग्रामीणों की सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण पर उठे सवाल

न्यूज़ लहर संवाददाता
चांडिल।सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के नीमडीह प्रखंड के आण्डा गांव के टोला बनगोड़ा में इन दिनों हाथियों के झुंड का आतंक छाया हुआ है। दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से भटके इन हाथियों ने गांवों में डेरा डालकर लोगों में दहशत का माहौल बना दिया है।
दलमा सेंचुरी के हाथियों का गाँवों में पलायन
दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, जो लगभग 193.22 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है, इस समय जलसंकट से जूझ रही है। भीषण गर्मी के कारण जंगल के जलस्रोत सूख गए हैं, जिसके चलते हाथियों का झुंड भोजन और पानी की तलाश में सेंचुरी छोड़कर गांवों की ओर पलायन कर गया है। कुछ हाथी चांडिल डैम जलाशय के किनारे पानी में अठखेलियां भी कर रहे हैं। इस दौरान हाथियों के झुंड ने गांवों में घुसकर फसलें, घर और लोगों की जान-माल को भारी नुकसान पहुंचाया है। ग्रामीणों का कहना है कि वे हमेशा डर के साए में जी रहे हैं।
वन विभाग की उदासीनता और योजनाओं पर सवाल
दलमा सेंचुरी में हाथियों की निगरानी के लिए बनाए गए अवाच टावर अक्सर वीरान पड़े रहते हैं। वन विभाग के कर्मचारी नदारद रहते हैं, जिससे हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखना मुश्किल हो गया है। भारत सरकार और राज्य सरकार वन्य जीव संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन हाथियों के पलायन और गांवों में उत्पात से सरकारी योजनाओं की हकीकत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
दलमा की जैव विविधता पर मंडराता खतरा
कभी दलमा सेंचुरी रॉयल बंगाल टाइगर, अजगर, ब्लैक कोबरा, भालू, लकड़बग्घा और गिद्धों के लिए मशहूर थी। लेकिन आज अंधाधुंध पेड़ों की कटाई और मानव हस्तक्षेप ने यहां के जैव विविधता को खतरे में डाल दिया है। फलों के पेड़ों की कटाई से पक्षियों की चहचहाहट भी लगभग गायब हो गई है। जंगल अब सन्नाटे में तब्दील होता जा रहा है।
पर्यटन को बढ़ावा, लेकिन वन्यजीव संरक्षण की अनदेखी
वन विभाग द्वारा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए गेस्ट हाउस और रोपवे जैसी सुविधाओं का विकास किया गया है। पर्यटक दलमा की सुंदरता को देखने आते हैं, लेकिन वन्य जीव संरक्षण की दिशा में गंभीर प्रयास नहीं हो रहे हैं। पर्यटन के विकास के साथ-साथ वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण तैयार करना जरूरी है।
ग्रामीणों की चिंता और अपील
किसान राजेंद्र सिंह और मानवाधिकार जिला अध्यक्ष प्रमोद कुमार शर्मा ने बताया कि जंगलों की अवैध कटाई और वन विभाग की अनदेखी के चलते हाथियों का गांवों की ओर पलायन बढ़ गया है। इससे ग्रामीणों की आजीविका और सुरक्षा दोनों ही खतरे में हैं। उन्होंने सरकार से जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है।
दलमा सेंचुरी से भटके हाथियों का आतंक ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सरकार और वन विभाग को मिलकर हाथियों के लिए सुरक्षित कॉरिडोर, पर्याप्त जलस्रोत और भोजन की व्यवस्था करनी होगी। साथ ही ग्रामीणों को जागरूक और सुरक्षित करने के लिए ठोस योजनाएं बनानी होंगी, ताकि जंगल, वन्यजीव और ग्रामीण सभी सुरक्षित रह सकें।