सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ने जताई उपेक्षा पर चिंता, सवर्ण आयोग की मांग को लेकर दी चेतावनी

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। भारतीय लोकतंत्र में सवर्ण समाज को राजनीतिक और संवैधानिक रूप से दोयम दर्जे का नागरिक मानने पर सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डी.डी. त्रिपाठी ने गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति में सवर्ण समाज उपेक्षित रह गया है, इसलिए अब वह सवर्ण आयोग के गठन और राजनीतिक भागीदारी की मांग को लेकर आंदोलन की राह पर हैं।
डी.डी. त्रिपाठी ने शनिवार को जमशेदपुर स्थित एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि 140 करोड़ की आबादी वाले भारत में सवर्ण समाज को लोकतंत्र में समान राजनीतिक भागीदारी नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को ओबीसी, एससी, एसटी, माइनॉरिटी के नाम पर आरक्षण और प्रतिनिधित्व दिया गया है, लेकिन सवर्ण समाज को सभी दलों ने अछूत बना दिया है।
श्री त्रिपाठी ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से बताया कि 49% सवर्ण बच्चे गरीबी के चलते पढ़ाई छोड़ देते हैं, 45% के पास पक्का मकान नहीं है, और 36% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। उन्होंने कहा कि 65% सवर्ण रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं और 55% के पास 1 एकड़ से भी कम जमीन है।
उन्होंने कहा, “आज सवर्ण समाज के समक्ष राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अस्तित्व की चुनौती है। हम पार्टीगत सवर्ण मोर्चा और सवर्ण आयोग की मांग को लेकर संघर्ष करने को तैयार हैं। अगर सत्ता हमारी मांग नहीं मानेगी तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।”
श्री त्रिपाठी ने चेतावनी दी कि अगर राजनीतिक दल अपने संगठन में सवर्ण मोर्चा का गठन नहीं करेंगे तो उसका विरोध किया जाएगा। मौके पर सवर्ण महासंघ फाउंडेशन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मौजूद थे।