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बोड़ाम हनी: जंगल से बाजार तक सबर समुदाय की आत्मनिर्भरता की मीठी यात्रा*

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर ।पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र बोड़ाम प्रखंड में स्थित खोखरो गांव के 45 सबर परिवारों ने अपने जीवन में एक नया अध्याय लिखा है। यह गांव आज शहद उत्पादन के क्षेत्र में पूरे राज्य के लिए प्रेरणा बन चुका है। सदियों से जंगलों पर निर्भर रहने वाले इस आदिम समुदाय का जीवन महुआ, पत्ता, झाड़ू और विशेषकर वन शहद जैसे गैर-काष्ठ वन उत्पादों पर आधारित रहा है। हर साल लगभग दो टन शहद एकत्र होता था, लेकिन बेहतर बाजार, मूल्य और भंडारण की कमी के कारण इनकी मेहनत का पूरा फल नहीं मिल पाता था।

2024 में प्रधानमंत्री जनजातीय सशक्तिकरण योजना (PM-JANMAN) के तहत खोखरो गांव में वन धन विकास केंद्र (VDVK) की स्थापना हुई। इसके बाद सबर समुदाय को शहद संग्रहण, मधुमक्खी पालन, प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग का प्रशिक्षण दिया गया। महिलाओं को वैज्ञानिक तरीके से शहद संग्रहण, हाइजीन, फिल्ट्रेशन और पैकेजिंग का प्रशिक्षण मिला। 30 परिवारों को आवश्यक उपकरणों की किट दी गई, जिससे उनकी सहभागिता और आत्मविश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अब Boram Honey एक ब्रांड के रूप में पहचाना जाता है। इसकी सुरक्षित पैकेजिंग, आकर्षक लेबलिंग और गुणवत्ता ने इसे बाजार में एक अलग पहचान दिलाई है।

तेजस्विनी महिला किसान उत्पादक समूह (FPO) और 16 संयुक्त देनदारी समूहों (JLGs) के माध्यम से शहद की संगठित बिक्री हो रही है, जिससे उत्पाद को उचित मूल्य और बाजार तक सीधी पहुंच मिली है। आने वाले दिनों में B-Box के जरिए मधुमक्खी पालन को और बढ़ावा देने की योजना है। इससे शहद उत्पादन बढ़ेगा और परागण के जरिए जैविक खेती को भी बल मिलेगा, जिससे वन और कृषि में संतुलन बना रहेगा। Boram Honey सिर्फ एक उत्पाद नहीं, बल्कि सबर समुदाय के संघर्ष, सीख और आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायक यात्रा है।

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