हाइड्रोसेफेलस से पीड़ित दो बच्चों को रिम्स रांची भेजा गया न्यायपालिका, स्वास्थ्य विभाग और सामाजिक कार्यकर्ताओं की संयुक्त पहल से संभव हुआ इलाज

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा: नक्सल प्रभावित क्षेत्र सारंडा के घने जंगलों में बसे नोवामुंडी प्रखण्ड के गांव शुकरीपड़ा की एक साल की बच्ची, जो हाइड्रोसेफेलस (सिर का असामान्य रूप से बढ़ना) नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी और खुंटपानी प्रखंड के केयापता गांव के एक अन्य बच्चा भी इसी बीमारी से ग्रसित पाया गया। जिसे बेहतर इलाज के लिए आज रिम्स, रांची भेजा गया।
यह मानवीय और संवेदनशील पहल झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) चाईबासा के तत्वावधान में और खुंटपानी प्रखंड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा संभव हो पाई। इस प्रयास का नेतृत्व प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह DLSA अध्यक्ष मोहम्मद शाकिर अहमद और सचिव रवि चौधरी ने किया। सिविल सर्जन डॉ. सुशांत माझी, उपाधीक्षक डॉ. शिवचरण हांसदा और बाल कल्याण समिति के सदस्य विकास दोदराजका का सहयोग भी सराहनीय रहा।
नोवामुंडी की बच्ची की जानकारी मिलते ही PLV प्रमिला पात्रो और उमर सादिक ने स्थानीय साहिया एवं मानसी कार्यकर्ताओं के साथ गांव का दौरा किया। वहां उन्होंने देखा कि बच्ची को उचित इलाज की बजाय झाड़-फूंक द्वारा उपचार किया जा रहा है। टीम ने परिजनों को समझाकर अस्पताल में इलाज के लिए राजी किया और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल सूचित किया।
बाद में बच्ची को चाईबासा सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां तीन दिन तक उसका प्रारंभिक इलाज किया गया। उसके बाद आज सुबह 9 बजे दोनों बच्चों को बेहतर उपचार के लिए रिम्स रांची भेजा गया।
इस पूरे अभियान में PLV सूरज कुमार ठाकुर, रेणु देवी, ग्राम सेविका भजमति लागुरी, मधिवी पिंगुआ, रंजिता गोप, खुंटपानी प्रखंड प्रमुख सिद्धार्थ होनहागा और सदर अस्पताल के कर्मियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
यह पहल न केवल दो मासूमों के जीवन बचाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि न्याय सबके लिए सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि समाज के पिछड़े और सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी न्याय और चिकित्सा सहायता पहुंचाने की प्रतिबद्धता है।