केन्द्रीय कैबिनेट ने रेलवे की दो बड़ी मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी*
न्यूज़ लहर संवाददाता
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने रेल मंत्रालय की दो मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है इन परियोजनाओं से भारतीय रेल के विद्यमान नेटवर्क में करीब 318 किलोमीटर की वृद्धि होगी और इनका विस्तार झारखंड, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश के सात जिलों में होगा इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 6,405 करोड़ रुपये है
इन परियोजनाओं में पहली परियोजना कोडरमा-बरकाकाना दोहरीकरण है जिसकी लंबाई 133 किलोमीटर है और यह झारखंड के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरती है यह परियोजना पटना और रांची के बीच सबसे छोटा और अधिक कुशल रेल संपर्क प्रदान करेगी दूसरी परियोजना बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण है जिसकी लंबाई 185 किलोमीटर है और यह लाइन कर्नाटक के बेल्लारी और चित्रदुर्ग जिलों तथा आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से होकर गुजरती है
इन परियोजनाओं के माध्यम से यात्रा सुविधा में सुधार होगा और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी साथ ही तेल आयात में कमी होगी और कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में गिरावट आएगी जिससे टिकाऊ और कुशल रेल प्रचालन को बढ़ावा मिलेगा निर्माण के दौरान इन परियोजनाओं से लगभग 108 लाख मानव दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होगा
इन मल्टीट्रैकिंग प्रस्तावों से भारतीय रेल के लिए प्रचालनगत दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा और भीड़भाड़ में कमी आएगी ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं जो क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से लोगों को आत्मनिर्भर बनाएंगी और रोजगार व स्वरोजगार के अवसर बढ़ाएंगी
ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं जो एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है और ये लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगी इन परियोजनाओं से लगभग 1,408 गांवों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी जिनकी आबादी लगभग 28.19 लाख है
ये मार्ग कोयला, लौह अयस्क, परिष्कृत इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कृषि वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं इन क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 49 मिलियन टन प्रति वर्ष का अतिरिक्त माल यातायात होगा रेलवे एक पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा सक्षम साधन है जिससे जलवायु लक्ष्यों को अर्जित करने और देश की लॉजिस्टिक्स लागत को घटाने, तेल आयात में कमी करने तथा कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में गिरावट लाने में मदद मिलेगी