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अंधविश्वास और कुरीतियों से मुक्ति के लिए मानसिक चेतना और आध्यात्मिक बल जरूरी: सुनील आनंद

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से कुंजाडीह में आयोजित तत्व सभा में सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास पर गहन चर्चा हुई। सभा को संबोधित करते हुए सुनील आनंद ने कहा कि झारखंड आज भी नशा, डायन प्रथा, ओझागुणी, पशु बलि जैसे अंधविश्वासों से जकड़ा हुआ है। इन सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए मनुष्य को अपने अंदर की मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक चेतना को विकसित करना होगा।

उन्होंने कहा कि नशा न केवल शरीर को रोगी बना रहा है, बल्कि समाज की चेतना को भी कुंद कर रहा है। डायन बता कर महिलाओं की हत्या और ओझा-गुनी के चक्कर में फंस कर लोगों का आर्थिक और मानसिक शोषण हो रहा है। इन समस्याओं को शिक्षा प्रणाली में वैज्ञानिक, व्यावहारिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से शामिल कर समझाना होगा।

सुनील आनंद ने बलि प्रथा को अमानवीय बताते हुए कहा कि कोई भी भगवान अपने बच्चों की बलि नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि तंत्र-मंत्र और झाड़फूंक से किसी को मारने की शक्ति किसी के पास नहीं है, यह सिर्फ डर और अज्ञान का भ्रम है। समाज को बदलने के लिए भक्ति, कीर्तन और आत्मबल को जागृत करना आवश्यक है।

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