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मातृभाषा में शिक्षा की दिशा में बड़ा कदम: जनजातीय बच्चों के लिए “पलाश” पुस्तक प्रकाशित झारखंड के प्राथमिक विद्यालयों में नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा आधारित शिक्षा की शुरुआत, राज्यभर में मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण शुरू

 

चाईबासा: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए जनजातीय बहुल प्राथमिक विद्यालयों के लिए मातृभाषा आधारित शिक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। इस दिशा में झारखंड शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (JCERT) द्वारा “पलाश” नामक पुस्तक का प्रकाशन किया गया है।

पलाश पुस्तक का उद्देश्य पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों को उनकी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा प्रदान करते हुए उन्हें हिंदी और अंग्रेजी जैसी अकादमिक भाषाओं के लिए तैयार करना है। पुस्तक में जनजातीय बच्चों की भाषिक दक्षता को विकसित करने हेतु उनकी मातृभाषा में शब्द, वाक्य, कविताएं और कहानियां शामिल की गई हैं। साथ ही, गणित को भी रोचक और सरल तरीके से प्रस्तुत किया गया है ताकि बच्चों की इस विषय में रुचि बढ़े।

इस नवाचारपूर्ण पुस्तक का निर्माण और शिक्षक प्रशिक्षण कार्य लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन के मार्गदर्शन में हुआ है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के हो भाषी शिक्षकों में कृष्णा देवगम, राजेश सिंकू, विद्यासागर लागुरी, हरीश लागुरी, मंगल सिंह मुंडा, दमयंती बिरूवा और विनिता कुमारी गोप ने पुस्तक लेखन में योगदान दिया है।

JCERT द्वारा राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण कार्य भी आरंभ कर दिया गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम का निरीक्षण झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (गुणवत्ता शिक्षा) अभिनव कुमार ने किया। उन्होंने मास्टर ट्रेनरों से अपील की कि वे अपने जिलों में शिक्षक-शिक्षिकाओं को प्रभावी और व्यावहारिक ढंग से प्रशिक्षित करें ताकि कक्षाओं में बच्चों को उनकी मातृभाषा में सीखने में सहूलियत हो और वे अधिक सक्रिय रूप से भाग लें।

उन्होंने जानकारी दी कि अगस्त माह से जनजातीय बहुल जिलों के शिक्षकों को छह दिवसीय प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य स्तर पर पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी, दुमका, लोहरदगा, साहेबगंज और सिमडेगा जिलों के क्रमश: हो, मुंडारी, संथाली और कुड़ुख भाषी शिक्षकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है।

राज्य स्तरीय प्रशिक्षण में लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन से स्मृति कुमारी, निशा गुप्ता, शैलेन्द्र अवस्थी, अजय कुमार सिन्हा, सीमा कुमारी, सुनील कुशवाहा, अशोक कुमार समेत अन्य विशेषज्ञ शामिल रहे। वहीं विभिन्न जिलों से डिस्ट्रिक्ट एकेडमिक कॉर्डिनेटर विवांशु सिंह, कमल लोचन प्रमाणिक, दीपक सांडिल, पूजा पान, उषा कुमारी, सादिया, एहसान, अंकज, अमित, नारायण, विनोद हांसदा और सोनी कुमारी ने भी प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया।

बच्चों तक बहुत जल्द पलाश पुस्तक पहुंचाई जाएगी, जिससे उनकी प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में आरंभ हो सकेगी। यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगी बल्कि जनजातीय भाषाओं और संस्कृति के संरक्षण में भी मील का पत्थर साबित होगी।

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