शिक्षक पात्रता परीक्षा में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को शामिल करने की मांग तेज़, मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर।झारखंड की प्रमुख स्थानीय भाषाओं भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) में शामिल किए जाने की मांग को लेकर विभिन्न भाषायी संगठनों ने सोमवार को सरकार के खिलाफ आवाज़ बुलंद की। सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान को सौंपा और मांग की कि इन भाषाओं को अविलंब शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल किया जाए।
प्रतिनिधियों ने कहा कि झारखंड राज्य निर्माण की लड़ाई में भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका भाषी समाजों ने अहम भूमिका निभाई है। एकीकृत बिहार के दौर से ही इन भाषाओं का राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान में योगदान रहा है।
सिंहभूम जिला भोजपुरी साहित्य परिषद के अध्यक्ष अरविंद विद्रोही ने कहा, “जब झारखंड राज्य बनने की लड़ाई चल रही थी, तब इन भाषाओं के बोलने वाले लोगों ने कंधे से कंधा मिलाकर आंदोलन किया, मुकदमे झेले और जेल भी गए। आज अगर इन भाषाओं को उपेक्षित किया जा रहा है, तो यह संघर्षशील समाजों के साथ अन्याय है।”
प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने जल्द कोई निर्णय नहीं लिया, तो सभी भाषायी संगठन राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।
ज्ञापन सौंपने के अवसर पर विभिन्न भाषायी संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिन्होंने एकमत से कहा कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में इन भाषाओं को उचित स्थान मिलना चाहिए ताकि राज्य में भाषायी न्याय और समावेशी नीति की भावना को बल मिले।