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कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद होने से छात्रों में आक्रोश, राज्यपाल को सौंपा गया मांगपत्र

 

चाईबासा: नई शिक्षा नीति 2020 के तहत डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद किए जाने के खिलाफ आज चाईबासा में छात्र-छात्राओं का आक्रोश फूट पड़ा। जिले के अंगीभूत कॉलेजों के सैकड़ों छात्रों ने उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम के माध्यम से राज्यपाल के नाम मांगपत्र सौंपा। उन्होंने मांग की कि जब तक नए प्लस टू विद्यालयों का निर्माण नहीं होता और पुराने उच्च विद्यालयों को प्लस टू में अपग्रेड नहीं किया जाता, तब तक डिग्री कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई जारी रखी जाए।

ज्ञात हो कि उच्च न्यायालय रांची एवं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 2025 से सभी कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई पर रोक का निर्देश दिया गया है। साथ ही 2024-25 सत्र के छात्रों को नजदीकी प्लस टू विद्यालयों में स्थानांतरित किए जाने के आदेश भी दिए गए हैं।

छात्र नेता एवं झामुमो युवा मोर्चा के जिला सचिव मंजीत हांसदा ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम जैसे नक्सल प्रभावित और आर्थिक रूप से पिछड़े जिले के छात्र प्राइवेट कॉलेजों का खर्च नहीं उठा सकते। इस फैसले से हजारों छात्रों की पढ़ाई बाधित होगी।

पूर्व छात्रसंघ सचिव पिपुन बारीक और छात्र मोर्चा अध्यक्ष सनातन पिंगुवा ने भी इस निर्णय पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे न केवल छात्रों का शैक्षणिक भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ेगा। साथ ही इंटरमीडिएट में वर्षों से कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों की नौकरी भी खतरे में पड़ जाएगी।

छात्र नेता वीर सिंह बालमुचू और पूर्व छात्र प्रतिनिधि मोटाय कोंडकेल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में व्यावहारिक कमियां हैं, जिन्हें दूर किए बिना इस पर अमल करना छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ होगा।

मांग की गई कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री इस विषय में हस्तक्षेप कर तत्काल छात्रहित में सकारात्मक निर्णय लें, अन्यथा मजबूरन छात्र सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।

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