नरसंडा पंचायत भवन में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन, ग्रामीणों को दी गई कानूनी जानकारी बच्चों के अधिकार, साइबर सुरक्षा, बाल विवाह व सरकारी योजनाओं की दी गई जानकारी

चाईबासा: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार रांची के निर्देशानुसार और जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा के तत्वावधान में आज सदर प्रखंड के नरसंडा पंचायत भवन में एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन पीएलवी हेमराज निषाद एवं पीएलवी जया कुमारी रवि ने किया।
शिविर में उपस्थित ग्रामीणों को कानून से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी गई, ताकि वे अपने हक और अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकें। कार्यक्रम की शुरुआत डालसा के गठन, उद्देश्य और इसके माध्यम से मिलने वाले लाभों की विस्तृत जानकारी से की गई।
शिविर में बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना कानूनन अपराध है। बच्चों को शिक्षा का अधिकार है, जिसके तहत उन्हें निशुल्क शिक्षा दी जाती है। बाल विवाह को लेकर जानकारी दी गई कि लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। बाल विवाह की सूचना पुलिस हेल्पलाइन नंबर 100 या चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर दी जा सकती है।
साइबर अपराध के प्रति सतर्क करते हुए ग्रामीणों को बताया गया कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और फोन पर किसी को ओटीपी न बताएं। बैंक कभी भी ग्राहक से ओटीपी नहीं मांगता। साइबर ठगी की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर की जा सकती है।
मिशन वात्सल्य योजना के तहत वैसे बच्चों को, जिनके माता या पिता का निधन हो चुका है, पढ़ाई के लिए ₹4000 प्रतिमाह की स्पॉन्सरशिप राशि दी जाती है। शिविर में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने की प्रक्रिया भी की गई। इसके अतिरिक्त श्रम कार्ड, आयुष्मान कार्ड और साथी योजना के बारे में भी ग्रामीणों को जानकारी दी गई। बताया गया कि साथी योजना के तहत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों का निशुल्क आधार कार्ड बनाया जा रहा है।
शिविर में नरसंडा पंचायत के मुखिया श्रीराम सुंडी, उप मुखिया पुष्प लतिका सुंडी, पंचायत सचिव महेंद्र गोप, सदर प्रखंड के BWO प्रभारी यमिर्याह पुरती, रोजगार सेवक रमेश लोहार, वार्ड सदस्य लक्ष्मी सुंडी सहित अन्य सेविका, सहिया एवं भारी संख्या में ग्रामीण महिला-पुरुष उपस्थित थे।
इस कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों को कानूनी अधिकारों एवं सरकारी योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें आत्मनिर्भर और जागरूक बनाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास किया गया।