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नशे के खिलाफ सिदगोड़ा थाना और मेराकी ट्रस्ट की साझी पहल से जागरूकता अभियान को मिली रफ्तार

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। औद्योगिक पहचान और विकासशील सोच के लिए जाना जाने वाले जमशेदपर, अब सामाजिक सुधार की दिशा में भी मजबूती से कदम बढ़ा रहा है। शहर में युवाओं में बढ़ती नशे की लत को देखते हुए सिदगोड़ा थाना और सामाजिक संस्था मेराकी ट्रस्ट ने मिलकर एक प्रभावशाली नशा मुक्ति जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य नशे के दुष्प्रभावों से लोगों को अवगत कराना और उन्हें नशे से दूर एक स्वस्थ और संतुलित जीवन की ओर प्रेरित करना है। अभियान ने न केवल जागरूकता फैलाई है, बल्कि समाज को संगठित कर सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का भी संदेश दिया है।

शनिवार को शहर के विभिन्न हिस्सों में चलाए जा रहे इस अभियान में स्थानीय लोगों के साथ बड़ी संख्या में युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रमों के माध्यम से नशे से होने वाले सामाजिक, मानसिक और शारीरिक नुकसान पर चर्चा की गई और लोगों को नशे से मुक्त जीवन अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।

इस मुहिम में मेराकी ट्रस्ट की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में सक्रिय यह संस्था लंबे समय से नशा मुक्ति को लेकर कार्य कर रही है। ट्रस्ट की सचिव रीता पात्रों ने बताया कि उनकी संस्था का लक्ष्य युवाओं को नशे की गिरफ्त में आने से पहले ही जागरूक करना है। उन्होंने कहा कि नशा न केवल शरीर को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह परिवारों को भी तोड़ देता है। संस्था स्कूलों, कॉलोनियों और सार्वजनिक स्थलों पर निरंतर कार्यक्रम आयोजित कर रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस जागरूकता से जुड़ सकें।

सिदगोड़ा थाना प्रभारी गुलाम रब्बानी ने बताया कि पिछले एक वर्ष से उनके नेतृत्व में थाना क्षेत्र में नशा मुक्ति को लेकर गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नशा एक सामाजिक बीमारी है, जो व्यक्ति के साथ-साथ पूरे समाज को खोखला कर देती है। पुलिस प्रशासन मेराकी ट्रस्ट जैसे संगठनों के साथ मिलकर नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने और इसके दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराने में जुटा है। उनका मानना है कि जब तक समाज खुद आगे नहीं बढ़ेगा, तब तक नशे जैसी समस्याओं से लड़ना मुश्किल होगा।

सिदगोड़ा थाना और मेराकी ट्रस्ट की यह साझी मुहिम केवल एक जागरूकता अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की शुरुआत है। यह पहल दिखाती है कि अगर प्रशासन और समाजसेवी संगठन साथ मिलकर काम करें तो किसी भी बुराई के खिलाफ प्रभावी रूप से संघर्ष किया जा सकता है। जमशेदपुर जैसे शहर में यह जागरूकता की लहर नशे के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई का संकेत है, जो आने वाले दिनों में समाज में स्थायी बदलाव की नींव रख सकती है।

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