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ग्रामीणों की सजगता से बच गई सैकड़ों किताबें रद्दी में बिकने से, शिक्षा विभाग की लापरवाही का हुआ पर्दाफाश

 

घाटशिला। पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया प्रखंड में ग्रामीणों की सतर्कता से एक बड़ा घोटाला उजागर हो गया। सरकार द्वारा विद्यार्थियों के लिए भेजी गई पाठ्य पुस्तकें और कॉपियां जब रद्दी के भाव स्क्रैप टाल में बेचने के लिए ले जाई जा रही थीं, तभी ग्रामीणों ने समय रहते हस्तक्षेप कर पूरी घटना का भंडाफोड़ कर दिया। उनके प्रयास से किताबें न सिर्फ बिकने से बच गईं, बल्कि शिक्षा विभाग की गंभीर लापरवाही भी सामने आ गई।

 

यह घटना सोमवार को चाकुलिया नगर पंचायत क्षेत्र के मिस्त्रीपाड़ा की है, जहां एक विलय किए गए सरकारी विद्यालय भवन में वर्ष 2025–26 सत्र की किताबों को स्टॉक किया गया था। इन्हीं पुस्तकों को एक टेंपो में भरकर पुराने बाजार स्थित एक स्क्रैप टाल में बेचा जा रहा था। टेंपो में किताबें ले जाते देख ग्रामीणों को संदेह हुआ। जब उन्होंने नजदीक जाकर जांच की तो यह स्पष्ट हो गया कि ये वही किताबें हैं जो अब तक छात्रों तक नहीं पहुंची थीं। ग्रामीणों के विरोध के बाद टेंपो चालक किताबें वहीं छोड़कर भाग निकला।

 

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि यह काम शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा था। उनका कहना है कि जिन किताबों का वितरण अब तक विद्यार्थियों को नहीं हुआ है, वे चुपचाप कबाड़ में बेची जा रही थीं। ग्रामीणों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

 

घटना की जानकारी मिलते ही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी प्रभाकर कुमार ने पुष्टि की कि मामला उनके संज्ञान में है। उन्होंने बताया कि वे फिलहाल विभागीय प्रशिक्षण में हैं, लेकिन संबंधित बीपीओ को तुरंत जांच कर आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मिस्त्रीपाड़ा विद्यालय भवन को पुस्तकों के भंडारण के लिए प्रयोग में लाया गया था और वहां एक नाइट गार्ड की नियुक्ति भी की गई है, जिसके पास भवन की चाबी होती है।

 

इस मामले में स्क्रैप टाल संचालक का पक्ष सामने नहीं आ सका, क्योंकि उनसे संपर्क नहीं हो पाया। हालांकि ग्रामीणों की सजगता से किताबें रद्दी में बिकने से बच गईं और विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

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