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इंटर की पढ़ाई बंद करने के फैसले पर भड़के कुणाल षाड़ंगी, कहा– छात्रों की जिम्मेदारी सिर्फ राज्य की नहीं, केंद्र भी निभाए भूमिका

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर।झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने राज्य में इंटरमीडिएट की पढ़ाई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से हटाने के निर्णय को “तुगलकी फरमान” बताते हुए कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस फैसले को छात्रों के हितों के खिलाफ बताया और केंद्र सरकार से भी शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी की मांग की।

नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से इंटरमीडिएट कक्षा की पढ़ाई को हटाने के फैसले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने नाराजगी जताई है। बुधवार को साकची स्थित झामुमो कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने इस निर्णय को “अचानक और छात्र विरोधी” करार दिया।

उन्होंने कहा कि इंटर की पढ़ाई बंद करने के लिए केंद्र सरकार की तय समयसीमा 2026 थी, लेकिन झारखंड के राज्यपाल द्वारा इससे पहले ही फैसला सुना देना हैरानीजनक है। उन्होंने कहा कि यह फैसला बिना समुचित तैयारी और छात्रों के हितों को ध्यान में रखे लिया गया है।

श्री षाड़ंगी ने सवाल उठाया कि क्या देश में छात्रों को शिक्षित करने की पूरी जिम्मेदारी केवल राज्य सरकारों की है? केंद्र सरकार की इस दिशा में कोई भूमिका नहीं बनती क्या? उन्होंने केंद्र से जवाब देने की मांग की।

प्रवक्ता ने यह भी जानकारी दी कि झारखंड सरकार ने इस निर्णय के तुरंत बाद वैकल्पिक व्यवस्था की दिशा में कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने निर्देश जारी कर दिए हैं कि प्रत्येक पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित स्कूलों में इंटर की वैकल्पिक शिक्षा शुरू की जाए। उन्होंने आश्वस्त किया कि निकट भविष्य में इस व्यवस्था को स्थायी रूप दिया जाएगा।

इस दौरान उन्होंने दोहराया कि शिक्षा एक समवर्ती विषय है और छात्रों के भविष्य के साथ समझौता किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं होगा। केंद्र और राज्य दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है कि वे मिलकर शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करें, न कि छात्रों को असमंजस की स्थिति में डालें।

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