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कोल्हान टाइगर केसी हेंब्रम की पुण्यतिथि पर विशेष स्मरण, कभी जेनेवा तक पहुंचाई थी आदिवासी स्वशासन की आवाज

 

चाईबासा: कोल्हान क्षेत्र में आदिवासी स्वशासन की आवाज बुलंद करने वाले प्रसिद्ध नेता केसी हेंब्रम की पुण्यतिथि पर आज उन्हें याद किया गया। कोल्हान के टोंटो प्रखंड अंतर्गत टेंसरा गांव में जन्मे केसी हेंब्रम (पूरा नाम कृष्ण चंद्र हेंब्रम) ने पारंपरिक आदिवासी शासन प्रणाली को पुनर्स्थापित करने की मांग को लेकर 1980 और 90 के दशक में बड़ा आंदोलन खड़ा किया था।

स्विटजरलैंड तक पहुंचा दी थी मांगें
हेंब्रम ने कोल्हान रक्षा संघ नामक संगठन की स्थापना कर नारायण जोंको, क्राइस्ट आनंद टोपनो और अश्विनी कुमार सावैयां जैसे साथियों के साथ मिलकर कोल्हान की स्वायत्तता की मांग को लेकर अभियान शुरू किया। जब उन्हें लगा कि राज्य और केंद्र सरकार उनकी मांगों की अनदेखी कर रही है, तब उन्होंने एक अभूतपूर्व कदम उठाया और संयुक्त राष्ट्र संघ के समक्ष अपनी बात रखने स्विटजरलैंड के जेनेवा पहुंच गए। कहा जाता है कि उन्होंने ब्रिटिश शासन से संबंधित दस्तावेजों के आधार पर कोल्हान को स्वतंत्र क्षेत्र घोषित करने की मांग रखी थी।

बिहार सरकार ने लगाया था देशद्रोह का मुकदमा
इस कदम से घबराई उस समय की बिहार सरकार ने केसी हेंब्रम के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया, लेकिन उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका। वह वर्षों तक टोंटो के घने जंगलों में रहते हुए आंदोलन का संचालन करते रहे। 2001 में झारखंड अलग राज्य बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने उन पर से देशद्रोह के मुकदमे हटा दिए।

टोंटो जंगल में एशिया सम्मेलन से मच गया था हड़कंप
केसी हेंब्रम ने 90 के दशक में टोंटो के पालीसाई गांव में एक एशिया सम्मेलन बुलाकर सरकार को हिला कर रख दिया था। इस सम्मेलन में देश-विदेश से विद्रोही विचारधारा के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसे रोकने के लिए जिले के तत्कालीन डीसी सजल चक्रवर्ती हथियारबंद फोर्स के साथ पहुंचे, लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के चलते वे खाली हाथ लौट गए। इस घटना के बाद केसी हेंब्रम कोल्हान में “कोल्हान टाइगर” के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

पालीसाई में स्थापित है प्रतिमा
केसी हेंब्रम की स्मृति में पालीसाई गांव में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसे वरिष्ठ नेता बागुन सुंबरुई के पुत्र हिटलर सुंबरुई ने बनवाया था। हर वर्ष पुण्यतिथि पर लोग वहां एकत्र होकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

केसी हेंब्रम का जीवन
उनका जन्म 1940 में हुआ था और 2016 में उनका निधन हुआ। उन्होंने कई शादियां की थीं। उनका विस्तृत परिवार आज भी टेंसरा और गुटूसाई गांवों में रहता है।

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