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हूल दिवस की पूर्व संध्या पर बड़कुंवर गागराई ने किया देश के क्रांतिकारियों को नमन, प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं हूल क्रांति ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को दिया नई दिशा: गागराई

 

चाईबासा: हूल दिवस की पूर्व संध्या पर पूर्व मंत्री सह भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी क्रांतिकारियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने विशेष रूप से सिदो-कान्हू और अन्य संताल वीरों के अद्वितीय योगदान को याद करते हुए कहा कि हूल क्रांति भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक अध्याय है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

श्री गागराई ने कहा कि “भारतीय स्वाधीनता संग्राम में हूल क्रांति का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केवल एक विद्रोह नहीं था, बल्कि हमारी अस्मिता, स्वाभिमान और स्वशासन की भावना का सशक्त प्रतीक था। इस क्रांति ने ब्रिटिश हुकूमत की नींव को हिला दिया और जन-जन में स्वतंत्रता की अलख जगाई।”

उन्होंने आगे कहा कि “आज जब हम हूल दिवस मना रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम अपने महान स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान से प्रेरणा लें। उनके आदर्शों पर चलकर ही हम एक समरस, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर सकते हैं।”

इस अवसर पर श्री गागराई ने झारखंड समेत देश के सभी नागरिकों को हूल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दीं और आह्वान किया कि हम सभी मिलकर अपने इतिहास, संस्कृति और मूल्यों को संजोएं तथा आने वाली पीढ़ियों को इसके प्रति जागरूक करें।

गौरतलब है कि हूल दिवस हर वर्ष 30 जून को मनाया जाता है। वर्ष 1855 में सिदो और कान्हू मुर्मू के नेतृत्व में संतालों ने अंग्रेजों के शोषण और अत्याचार के विरुद्ध व्यापक आंदोलन छेड़ा था, जिसे इतिहास में हूल क्रांति के नाम से जाना जाता है।

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