महिला कॉलेज चाईबासा में हूल दिवस पर श्रद्धांजलि, सिद्धो-कान्हो के बलिदान को किया याद

चाईबासा: महिला कॉलेज चाईबासा में आज हूल दिवस के अवसर पर सिद्धो-कान्हो की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत पुष्प अर्पण से हुई, जिसमें कॉलेज के शिक्षकों और छात्राओं ने भाग लिया।
इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. प्रीतिबाला सिन्हा ने कहा कि 1855 का संथाल हुल भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रारंभिक किसान विद्रोहों में से एक था। यह आंदोलन सिद्धो, कान्हो, चांद, भैरव मुर्मू तथा फूलो-झानो जैसी वीर संतानों के नेतृत्व में 30 जून 1855 को प्रारंभ हुआ था, जिन्होंने अपने हक और स्वाभिमान की रक्षा हेतु अंग्रेजी सत्ता को चुनौती दी।
डॉ. निवारण मेहता ने कहा कि हमें इन शहीदों के बलिदान को हमेशा स्मरण रखना चाहिए। यह दिवस उन वीर आदिवासियों को समर्पित है, जिन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए सशस्त्र संघर्ष किया।
कार्यक्रम में मोबारक करीम हाशमी ने कहा कि आज के युग में भी हमें सिद्धो-कान्हो से प्रेरणा लेकर अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध खड़ा होना चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्पित सुमन ने किया।
इस अवसर पर डॉ. सुचिता बाड़ा, प्रोफेसर सविता सुंडी, सोनाराम मुर्मू सहित अनेक शिक्षकगण और कॉलेज की छात्राएँ उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम ने छात्राओं को इतिहास से जुड़ने और अपने अधिकारों के लिए जागरूक होने का संदेश दिया।