नारी की उड़ान: बंदिशों से आजादी तक, चाईबासा में विधिक जागरूकता वर्कशॉप का आयोजन बाल विवाह और पर्यावरण संरक्षण पर बनी कार्ययोजना, पंचायत स्तर तक चलेगा अभियान

चाईबासा: झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डीएलएसए), चाईबासा के तत्वावधान में सोमवार को “नारी की उड़ान: बंदिशों से आजादी तक” विषय पर एक महत्वपूर्ण विधिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन डीएलएसए कार्यालय में किया गया।
इस कार्यशाला का संचालन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह प्राधिकार अध्यक्ष मोहम्मद शाकिर के मार्गदर्शन और प्राधिकरण के सचिव रवि चौधरी के नेतृत्व में हुआ। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, बाल विवाह की रोकथाम और पर्यावरण संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक चर्चा हुई और भविष्य की कार्ययोजना तय की गई।
सचिव रवि चौधरी ने कहा कि बाल विवाह महिलाओं के विकास में सबसे बड़ी रुकावट है, और यह एक ऐसा अपराध है जो अक्सर समाज की चुप्पी और परंपराओं के नाम पर समझौते के कारण फलता-फूलता है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि हमारे पैरा लीगल वालंटियर (पीएलवी) पंचायत, स्कूल और प्रखंड स्तर तक जाकर जनजागरण करें।
उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण अब केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी बन गया है। भावी पीढ़ी की सुरक्षा के लिए हमें प्रकृति के साथ न्याय करना होगा।
कार्यक्रम के दौरान “आशा प्रोजेक्ट” और “नारी की उड़ान: बंदिशों से आजादी तक” अभियान के प्रभावी संचालन के लिए एक समिति का गठन किया गया, जिसमें पैनल अधिवक्ता और अधिकार मित्र (लिगल एड मित्र) शामिल हैं।
LADC के डिप्टी चीफ सुरेन्द्र प्रसाद दास ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कानूनों की जानकारी दी। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने गांव-गांव जाकर यह संकल्प दिलाने का निर्णय लिया कि ना किसी बालिका का बचपन छीना जाएगा, ना कोई महिला अपने अधिकार से वंचित होगी, और ना ही प्रकृति के साथ अन्याय होगा।
इस कार्यशाला से जुड़ी जानकारी पीएलवी सूरज कुमार ठाकुर द्वारा साझा की गई।