दलमा में विस्थापन के खिलाफ आदिवासियों की हुंकार, हथियारबंद जनप्रदर्शन से प्रशासन सकते में

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। दलमा क्षेत्र से आदिवासियों और परंपरागत वननिवासियों को उजाड़ने के विरोध में मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय के समक्ष दलमा क्षेत्र ग्राम सभा सुरक्षा मंच (कोल्हान) के नेतृत्व में हथियारबंद विशाल जनप्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारी पारंपरिक तीर-धनुष, लाठी, भाला लेकर पहुंचे। यह विरोध दलमा को इको-सेंसिटिव जोन घोषित कर हजारों परिवारों के पुश्तैनी घरों को ध्वस्त करने की सरकारी योजना के खिलाफ था।
पटमदा, चांडिल, बोड़ाम, डिमना, पारडीह, गालूडीह, घाटशिला और मुसाबनी समेत कोल्हान के सुदूर क्षेत्रों से हज़ारों ग्रामीण अंबागान मैदान में जुटे। वहाँ से नारे लगाते हुए रैली के रूप में उपायुक्त कार्यालय पहुँचे।
रैली में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रही। उनके हाथों में बैनर थे – “हम उजाड़े नहीं जाएंगे – जंगल हमारा है!”
सभा को झारखंड ग्राम सभा सुरक्षा मंच के संजय नाग, आदिवासी सम्प्रभुता समिति चांडिल की सुशीला सोरेन, बिरसा सेना के रामचंद्र पूर्ति, आदिवासी जन मंच के पतरस टुडू और स्वराज सोशियो इकनॉमिक एंड रिसर्च सेंटर की रजनी बेसरा ने संबोधित किया। वक्ताओं ने कहा – “हमारे पुरखे इसी जंगल में रहे। आज हमें ही कागज़ मांगकर बेदखल किया जा रहा है। यह सवाल सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि हमारी पहचान का है।”
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि बिना ग्रामसभा की सहमति कोई फैसला न लिया जाए, FRA 2006 के तहत अधिकार दिए जाएं और विस्थापन की जगह स्थायी परंपरागत अधिकारों की गारंटी हो। इस दौरान महिला और पुरुषों ने जमकर नारे लगाए– “हमारी जमीन, हमारा हक – कोई नहीं छीन सकता!”