मुहर्रम को लेकर शांति समिति बैठक, जुलूस मार्ग में बदलाव पर रोक – सोशल मीडिया और असामाजिक तत्वों पर विशेष निगरानी के निर्देश

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। मुहर्रम-2025 के शांतिपूर्ण आयोजन और विधि व्यवस्था संधारण को लेकर पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। गुरुवार को टाउन हॉल, सिदगोड़ा सभागार में उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी और वरीय पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडेय की संयुक्त अध्यक्षता में केंद्रीय शांति समिति, विभिन्न मुहर्रम समिति के लाइसेंसधारियों और जिला स्तरीय पदाधिकारियों की बैठक आयोजित हुई।
बैठक में मुहर्रम समितियों द्वारा उठाए गए मुद्दों जैसे जुलूस मार्ग की मरम्मत, पर्याप्त रोशनी, साफ-सफाई, अवरोध मुक्त मार्ग, आवश्यक बेरिकेडिंग और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर समयबद्ध कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। रूरल एसपी ऋषभ गर्ग, सिटी एसपी कुमार शिवाशीष, अपर उपायुक्त भगीरथ प्रसाद, सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल, एसडीएम घाटशिला सुनील चंद्र समेत जिला प्रशासन, नगर निकाय, प्रखंड और थाना स्तरीय अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिया कि जुलूस पारंपरिक मार्ग से ही निकाले जाएं, किसी प्रकार का बदलाव अनुमन्य नहीं होगा। संबंधित पदाधिकारियों को सभी जुलूस मार्गों का पूर्व सत्यापन सुनिश्चित करने को कहा गया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी प्रकार की अफवाह या भ्रामक संदेश की तुरंत सूचना थाना या प्रशासन को दें। कंट्रोल रूम से हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी। जिले में पर्याप्त दंडाधिकारी, पुलिस बल, क्यूआरटी, मेडिकल, एंबुलेंस, अग्निशमन टीम की तैनाती रहेगी। जुलूस की ड्रोन, सीसीटीवी और वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
वरीय पुलिस अधीक्षक ने कहा कि मुहर्रम समितियां प्राकृतिक आपदा जैसी स्थिति में स्वयं भी सुरक्षात्मक व्यवस्था रखें। उन्होंने वैश्विक राजनीतिक घटनाओं के समर्थन/विरोध के प्रदर्शन से बचने, पर्व को उसकी धार्मिक भावना के अनुरूप मनाने और सोशल मीडिया का सावधानीपूर्वक उपयोग करने की अपील की।
ग्रामीण एसपी ने तजिया की ऊंचाई पर विशेष ध्यान देने को कहा। सिटी एसपी ने खतरनाक करतबों से परहेज करने और नशा कर हुड़दंग मचाने वालों पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही। सभी समितियों को अपने वालंटियर्स की सूची थाना प्रभारी को देने और असामाजिक तत्वों पर निगरानी के लिए सक्रिय समिति सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपने का निर्देश दिया गया।
अंत में उपायुक्त ने कहा कि एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए पर्व मनाएं और जिले में शांति एवं सौहार्द्र का वातावरण बनाए रखने में सहयोग करें।