आज से शुरू हुआ श्रावण मास, शिवभक्तों पर बरसेगी भोलेनाथ की कृपा – जानें महत्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर। भगवान शिव का परम प्रिय श्रावण (सावन) मास उत्तर भारत में 11 जुलाई 2025, शुक्रवार से आरंभ हो गया है। उत्तर भारतीय हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास आज से प्रारंभ हो गया, जबकि गुजरात और महाराष्ट्र में आषाढ़ मास चल रहा है और वहां 25 जुलाई, शुक्रवार से श्रावण मास की शुरुआत होगी। पूरे माह मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक और भजन कीर्तन का आयोजन होगा। शिवभक्तों में इसे लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है।
श्रावण मास का महत्व
हिंदू पंचांग का पांचवां महीना श्रावण, भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में कहा गया है कि श्रावण मास में की गई पूजा, व्रत और जप का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। स्वयं भगवान शिव ने कहा है –
द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभः।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मतः।।
अर्थात बारहों महीनों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है, अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास की पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र युक्त होती है, इसलिए भी इसे श्रावण कहा गया है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से सिद्धि प्राप्त होती है।
श्रावण मास में पूजा का महत्व
श्रावण मास में प्रतिदिन शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि “अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्” – इस मास में पूजा से अकाल मृत्यु टलती है, दीर्घायु प्राप्त होती है और रोग दूर होते हैं।
पौराणिक कथा – मार्कण्डेय ऋषि का अमरत्व
पुराणों के अनुसार, महर्षि मृकंडु के पुत्र मार्कण्डेय को अल्पायु का श्राप मिला था। उन्होंने श्रावण मास में घोर तप कर शिवजी को प्रसन्न किया। जब यमराज उन्हें लेने आए तो मार्कण्डेय शिवलिंग से लिपट गए। तब भगवान शिव प्रकट हुए और यमराज को पराजित कर अपने भक्त को अमरत्व का वरदान दिया। तभी से श्रावण मास में शिवजी की पूजा से मृत्यु भय दूर होने की मान्यता है।
कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व
श्रावण मास में उत्तर भारत सहित पूरे देश में कांवड़ यात्रा का आयोजन होता है। शिवभक्त पवित्र नदियों से गंगाजल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा करोड़ों भक्तों की आस्था और तपस्या का प्रतीक है।
श्रावण सोमवार का पुण्यफल
श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को व्रत और रुद्राभिषेक करने से विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य हेतु सोमवार का व्रत करती हैं। पुरुष भी स्वास्थ्य, आयु और सिद्धि के लिए व्रत रखते हैं।
शिवभक्तों में उल्लास का माहौल
शहर के मंदिरों में श्रावण मास को लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं। जमशेदपुर के विभिन्न शिवालयों और रांची के पहाड़ी मंदिर, देवड़ी मंदिर, अंगराबाड़ी मंदिर समेत सभी शिवालयों में श्रंगार, अभिषेक, रुद्राभिषेक, शिवमहापुराण कथा, रात्रि जागरण और भजन संध्या का आयोजन होगा। पंडितों ने बताया कि इस मास में बेलपत्र, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
श्रावण मास भक्ति, तप, सिद्धि, आरोग्य और मोक्ष प्राप्ति का विशेष महीना है। शिवभक्त पूरे माह व्रत, उपवास और सेवा के माध्यम से अपने आराध्य देव महादेव को प्रसन्न करेंगे।