एक और हाथी की मौत, गांव में नहीं जले चूल्हे… गंम में डूबे लोग, लगातार तीसरी मौत से सारंडा में मातम

चाईबासा। पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित सारंडा के जंगलों में मासूम हाथियों की लगातार हो रही मौतों ने हर दिल को हिला दिया है। गुरुवार की रात घायल नन्ही हथिनी की मौत के बाद गांव में चूल्हे नहीं जले, लोग उपवास पर रहे। यह लगातार तीसरी मौत है, जिसने जंगल के सन्नाटे को और गहरा कर दिया है।
कभी हाथियों की मस्त चाल से गूंजने वाला सारंडा अब लगातार मासूम जानवरों की मौत का गवाह बनता जा रहा है। गुरुवार की सुबह सेरेंगसिया गांव में एक हाथी ने दम तोड़ा और रात होते-होते मनोहरपुर की घायल नन्ही हथिनी ने भी इलाज के दौरान तड़प-तड़प कर आखिरी सांस ली।
यह वही हथिनी थी जो हाल ही में हुए IED ब्लास्ट में गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उसकी आंखों में जिंदगी की चाहत थी, पर इंसानों की बिछाई मौत की सुरंगों ने उसकी जिंदगी छीन ली। कई दिनों से वह दर्द में कराह रही थी। उसका इलाज चल रहा था, लेकिन गुरुवार को उसकी सांसे थम गईं।
लगातार तीसरी हाथी की मौत से अब गांववालों का सब्र टूटता जा रहा है। बताया जा रहा कि इस घटना से सेरेंगसिया और मनोहरपुर गांवों में चूल्हे नहीं जले। लोगों ने खाना तक नहीं खाया। हर आंख नम है, हर दिल भरा हुआ। उनकी बस एक ही प्रार्थना है – “हे भगवान, इन मासूमों को इंसानी क्रूरता से बचा ले।”
वन विभाग और प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं –
क्या वक्त पर सही इलाज मिला?
क्या देखभाल में कोई कमी रह गई?
या फिर लापरवाही ने एक और जान छीन ली?
इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं। जंगल की हवा अब भी उसकी आखिरी चीखों से भरी है, और पूरे सारंडा में पसरा है मातम, दर्द, और एक न खत्म होने वाला सन्नाटा…