“हमारा पहाड़, हमारी जान” – पहाड़ बचाने हथियार उठाने को मजबूर हुए ग्रामीण

जमशेदपुर। पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित पोटका प्रखंड का पोडाहातु पहाड़, जो आदिवासी ग्रामीणों की आस्था, संस्कृति और पहचान का प्रतीक है, अब खनन के खतरे से घिर गया है। इस पहाड़ को बचाने के लिए ग्रामीणों मंगलवार को हथियार उठाने को मजबूर हो गए हैं। उनका कहना है कि यह पहाड़ उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यहां उनके पूर्वजों की आत्मा बसती है, यहां उनकी पूजा होती है, उनके पर्व-त्योहार इसी पहाड़ से शुरू होते हैं और इसी पर समाप्त होते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि खनन केवल मिट्टी-पत्थर निकालने का काम नहीं है, बल्कि यह उनके जीवन और अस्तित्व पर सीधा हमला है। एक महिला ग्रामीण ने भावुक होकर कहा, “यह पहाड़ हमारा मंदिर है। हम बचपन से यहां पूजा करते आए हैं। यह खत्म होगा तो हमारी संस्कृति भी खत्म हो जाएगी। हम हथियार उठाएंगे, लेकिन इसे कटने नहीं देंगे।”
ग्राम प्रधान बिनोस सरदार ने कहा, “हमारे पूर्वजों ने इस पहाड़ को देवता माना। अगर खनन हुआ तो यहां की हरियाली खत्म हो जाएगी, जलस्रोत सूख जाएंगे और हमारा जीवन संकट में पड़ जाएगा। हम प्रकृति के पुजारी हैं। यह पहाड़ हमारी मां के समान है, और कोई भी अपने मां को कटते देख नहीं सकता।”
मौके पर धनेश्वर सरदार, मुखिया संगीता सरदार समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। सभी ने हाथों में लाठियां, टांगी और पारंपरिक हथियार उठाकर साफ संदेश दिया कि वे पहाड़ की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। उनका कहना था कि यह संघर्ष केवल जमीन का नहीं, बल्कि उनकी आत्मा और भविष्य की पीढ़ियों की रक्षा का है। ग्रामीणों ने लाल झंडे लगाकर अपने पूजा स्थलों को चिह्नित किया और ऐलान किया कि चाहे जो भी हो जाए, पोडाहातु पहाड़ को कटने नहीं देंगे।