महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर, चाईबासा में घरेलू हिंसा पर आधारित कार्यशाला आयोजित

चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में एक अहम पहल करते हुए शुक्रवार को जिला परिषद सभागार में घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम समाज कल्याण शाखा के तत्वावधान में जिला दंडाधिकारी-सह-उपायुक्त के निर्देशानुसार संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में महिलाओं के विरुद्ध होने वाली घरेलू हिंसा को रोकना तथा उन्हें कानून द्वारा प्रदत्त अधिकारों व उपलब्ध सेवाओं के प्रति सजग करना रहा। कार्यशाला में महिला थाना प्रभारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के प्रतिनिधि, वन स्टॉप सेंटर की टीम, महिला पर्यवेक्षिका सहित कई विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) के सचिव रवि चौधरी ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 केवल शारीरिक हिंसा तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक, आर्थिक, यौन और भावनात्मक शोषण को भी शामिल करता है। उन्होंने महिलाओं को संरक्षण, परामर्श, आवास एवं कानूनी सहायता जैसे अधिकारों के बारे में जागरूक किया।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी स्वेता भारती ने महिला सुरक्षा से जुड़ी सरकारी योजनाओं व समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की जानकारी दी। महिला थाना प्रभारी ने घरेलू हिंसा की स्थिति में प्राथमिकी दर्ज कराने की प्रक्रिया और पुलिस की भूमिका स्पष्ट की।
सीडीपीओ मेविश मुंडू ने बताया कि आंगनबाड़ी सेवाओं के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं को चिन्हित कर सहायता पहुंचाई जाती है।
जेएसएलपीएस की डीपीएम ने महिलाओं को आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त करने के प्रयासों की जानकारी दी और बताया कि आर्थिक आत्मनिर्भरता से महिलाएं घरेलू हिंसा के चक्र से बाहर आ सकती हैं। साथ ही उन्होंने “गरीमा केंद्र” की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक नालिनी गोप ने बताया कि यह केंद्र घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज प्रताड़ना, बाल विवाह जैसी परिस्थितियों में पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, परामर्श, कानूनी सहायता और आश्रय जैसी सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराता है। उन्होंने बताया कि पीड़िताएं सीधे सेंटर पर आकर या 112/181 जैसे हेल्पलाइन नंबरों के जरिए भी सहायता प्राप्त कर सकती हैं। सेंटर की टीम में काउंसलर, केस वर्कर, पुलिस प्रतिनिधि और विधिक सहायक शामिल होते हैं, जो तुरंत सहायता प्रदान करते हैं।
कार्यक्रम में शामिल सभी प्रतिनिधियों ने घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए विभागों के बीच बेहतर समन्वय और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया। अंत में, सभी प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि वे महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए अपने स्तर पर सतत प्रयास करते रहेंगे।
कार्यशाला के माध्यम से घरेलू हिंसा के विरुद्ध एक सशक्त संदेश समाज में प्रसारित हुआ, जिसमें सहयोग, जागरूकता और संवेदनशीलता की प्रमुख भूमिका रही।