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रविन्द्र भवन बुकिंग राशि की वापसी को लेकर विवाद, सचिव पर दुर्व्यवहार का आरोप

 

चाईबासा: चाईबासा शहर के प्रतिष्ठित सांस्कृतिक स्थल रविन्द्र भवन को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। एक स्थानीय नागरिक ने विवाह कार्यक्रम रद्द होने के बाद भवन बुकिंग में जमा की गई ₹15,000 की राशि की वापसी न होने पर अनुमण्डल पदाधिकारी (एसडीओ) से लिखित शिकायत की है। शिकायत में उन्होंने भवन की देखरेख कर रही बंगाली सेवा समिति के सचिव पर दुर्व्यवहार का आरोप भी लगाया है।

शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने 20 मार्च 2023 को पारिवारिक विवाह समारोह के लिए रविन्द्र भवन बुक किया था। किन्हीं पारिवारिक कारणों से विवाह कार्यक्रम रद्द करना पड़ा, जिसकी तत्काल सूचना भवन के तत्कालीन सचिव सुब्रत बोस को दे दी गई थी। शिकायतकर्ता के अनुसार, सचिव ने उन्हें आश्वस्त किया था कि राशि बाद में लौटा दी जाएगी। लेकिन लगातार प्रयासों के बावजूद आज तक राशि वापस नहीं की गई।

उन्होंने बताया कि कई बार कार्यालय जाकर सचिव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हर बार तारीख आगे बढ़ा दी गई। हाल ही में जब वे फिर से राशि की मांग लेकर पहुंचे, तो सचिव ने न सिर्फ उनके आवेदन को अस्वीकार कर दिया, बल्कि कथित रूप से उनके साथ दुर्व्यवहार भी किया। इस दौरान कार्यालय प्रभारी मोहन मलिक भी उपस्थित थे।

शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते हैं और ₹15,000 की राशि उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने रविन्द्र भवन की ऐतिहासिक एवं सामाजिक भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस भवन का निर्माण शहर के प्रमुख उद्योगपतियों, समाजसेवियों, तथा स्व. बागुन सुमरूई एवं मधु कोड़ा जैसे सांसदों की निधियों से हुआ था। भवन परिसर में बना टैगोर पार्क भी सरकारी भूमि पर पूर्व उपायुक्त सजल चक्रवर्ती के सहयोग से बना है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बंगाली सेवा समिति द्वारा संचालित इस भवन से प्रतिवर्ष लाखों की आमदनी होती है, फिर भी आय-व्यय का कोई पारदर्शी ब्यौरा सार्वजनिक नहीं किया जाता। जब इस विषय में संचालन समिति से सवाल किए गए, तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।

वर्तमान संचालन समिति के अध्यक्ष देवी शंकर दत्ता ने संवाददाता से बातचीत में बताया कि पूर्व सचिव शंभू मित्रा और सुब्रत बोस के कार्यकाल के दौरान आय-व्यय का कोई स्पष्ट ब्यौरा समिति के पास नहीं है। श्री दत्ता ने यह भी स्वीकार किया कि भवन के नाम पर बाजार से भारी कर्ज लिया गया था, जिसे वर्तमान समिति ने चुका दिया है। लेकिन पूर्व में लाखों की राशि का दुरुपयोग या गबन हुआ है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। एक सवाल के जवाब में श्री दत्ता ने बताया कि सारा हिसाब किताब सचिव के हाथों में होता था, जब शिकायतकर्ता ने अपनी बातों को रखा, तो इसे जल्द से जल्द पटल पर रखने के लिए हमारे द्वारा अनुशंसा की गई है।

इस पूरे घटनाक्रम ने रविन्द्र भवन की पारदर्शिता और समिति की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शिकायतकर्ता ने प्रशासन से आग्रह किया है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और भवन संचालन से संबंधित समस्त वित्तीय गतिविधियों का ऑडिट कराया जाए ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति उत्पन्न न हो।

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