किताहातु में आयोजित ग्रामसभा में ‘हो’ समाज की भाषा, संस्कृति और धर्म संरक्षण पर हुआ विचार-विमर्श*

हाटगम्हरिया: जामडीह पंचायत के ग्राम किताहातु में ‘हो’ समाज की भाषा, संस्कृति और धर्म की रक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण ग्रामसभा का आयोजन किया गया। इस सभा की पहल स्थानीय ग्रामीण मुण्डा सोनाराम सिंकू ने की, जिसमें पंचायत के सभी ग्रामीण मुण्डा, पंचायत प्रतिनिधि और आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा के पदाधिकारीगण मौजूद थे।
ग्रामसभा के दौरान ग्रामीणों ने अपने समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक समस्याओं को खुले मंच पर साझा किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में धार्मिक अतिक्रमण की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिनमें हिंदू, ईसाई, मुस्लिम और अन्य धर्मावलंबियों द्वारा समुदाय की पारंपरिक आस्थाओं पर हस्तक्षेप किया जा रहा है। ग्रामीणों ने इस पर गहरी चिंता जताई और इससे निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की।
ग्रामसभा एक सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम के रूप में भी आयोजित की गई थी। इसमें विभिन्न गांवों से आए मुण्डा, सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने भाषा-संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक-संवैधानिक अधिकारों को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने का प्रयास किया। सभा में धर्मांतरित परिवारों से समाज में पुनः लौटने की अपील की गई और लोगों से अपने मूल आदिवासी धर्म और परंपराओं के संरक्षण की अपील की गई।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि ‘हो’ समाज की पहचान उसकी भाषा, संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में निहित है, जिसे बचाने के लिए जनसहयोग और सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। साथ ही जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से समाज को संगठित करने और आने वाली पीढ़ियों को अपने मूल स्वरूप से जोड़ने पर बल दिया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित रहे मुण्डा खिरोध सिंकू, मुण्डा कुशनु सिंकू, मुण्डा सुधीर हेम्ब्रम, मुण्डा जुन्डिया सिंकू, मुण्डा सुनील सिंकू, मुण्डा पान्डू सिंकू, मुण्डा मुरली सिंकू, मुखिया विरेन्द्र हेम्ब्रम, पंसस बुकूल सिंकू, तथा आदिवासी ‘हो’ समाज युवा महासभा के अनिल बिरूवा, सागर सिंकू, राम सिंकू, बिरसिंह सिंकू, जयराम सिंकू, जर्मन सिंकू, गोविंद चंद्र सिंकू, बेहरा बिरूवा, सोमनाथ सिंकू, हरीश लागुरी, रविन्द्र खण्डाईत समेत बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण व सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
सभा में यह संकल्प लिया गया कि ‘हो’ समाज के अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए गांव-गांव जाकर जनजागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा और युवा पीढ़ी को समाज के मूल संस्कृति व धर्म से जोड़ने हेतु निरंतर प्रयास किए जाएंगे।