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राष्ट्रपति भवन में झारखंड की आवाज़ गूंजती रही, कर्मयोगी योजना की बैठक में चाईबासा की नेत्री गीता बालमुचू ने उठाए आदिवासी जनजीवन के अहम मुद्दे

 

नई दिल्ली: कर्मयोगी योजना के तहत राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में झारखंड की चाईबासा से भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेत्री सह पूर्व प्रत्याशी गीता बालमुचू ने महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से भेंट कर जनहित के कई अहम मुद्दों को उनके समक्ष विस्तारपूर्वक रखा। यह मुलाकात न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना के स्तर पर भी ऐतिहासिक रही।

बैठक के दौरान गीता बालमुचू ने झारखंड विशेषकर पश्चिमी सिंहभूम जिले में आदिवासी समाज, पिछड़े वर्गों और ग्रामीण समुदायों को सरकारी योजनाओं से वंचित रहने की गंभीर स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि माटी, बेटी और रोटी से जुड़े सवाल आज भी अनुत्तरित हैं, और योजनाओं का लाभ चाहे वह राशन हो, पेंशन या प्रधानमंत्री आवास स्थानीय जनता तक प्रभावी रूप से नहीं पहुंच रहा है।

उन्होंने वन अधिकार कानून के सही क्रियान्वयन में हो रही अनदेखी, ग्राम सभाओं की उपेक्षा और आदिवासी समुदायों के बीच फैली जागरूकता की कमी को भी उजागर किया। गीता बालमुचू ने यह भी बताया कि आदिवासी समाज आज भी नक्सल और सुरक्षा बलों के बीच पिस रहा है, जिससे खेती, शिक्षा और स्वतंत्रता की भावना प्रभावित हो रही है।

उन्होंने विशेष रूप से इस बात पर चिंता जताई कि हो, मुंडा, संथाल जैसे आदिवासी जनजातियों की पारंपरिक परंपराएं, भाषाएं, गीत, नृत्य और सांस्कृतिक धरोहरें धीरे-धीरे समाप्त हो रही हैं और नई पीढ़ी तक उनका प्रसार नहीं हो पा रहा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली
बैठक में आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा की जर्जर स्थिति, विद्यालयों की संरचनात्मक कमी, शैक्षिक सामग्री का अभाव, कुपोषण, उच्च मातृ मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई। गीता बालमुचू ने बताया कि ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र आज भी पारंपरिक जड़-फूक और झाड़-फूंक पर निर्भर हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सीमित हो जाता है।

खनिज संपदा में समृद्ध, लेकिन विकास से वंचित
चाईबासा सहित पश्चिमी सिंहभूम जिला खनिज संपदा में समृद्ध होते हुए भी विकास की दौड़ में पीछे है। गीता बालमुचू ने कहा कि आदिवासी समुदाय आज भी ज़मीन, रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए संघर्षरत है।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, जो स्वयं आदिवासी समुदाय से आती हैं, ने इन सभी मुद्दों को गम्भीरता से सुना और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कर्मयोगी योजना के तहत प्रशासनिक अधिकारियों को और अधिक जवाबदेह एवं संवेदनशील बनाने की बात कही।

यह बैठक और संवाद कर्मयोगी योजना के उद्देश्य को और भी अधिक सार्थक बनाता है, जिसमें नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के बीच सीधा संवाद स्थापित कर प्रशासन को ज़मीनी सच्चाई से जोड़ा जा सके।

मिशन कर्मयोगी का उद्देश्य गतिशील वातावरण में सफल होने के लिए सिविल सेवा को सशक्त बनाना, शासन की उभरती जरूरतों को संबोधित करना और सरकार-नागरिक संपर्क को बढ़ाना है। सिविल सेवकों को आवश्यक कौशल और दक्षताओं से लैस करके, मिशन 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करता है।

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