AIDSO ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय की अधिसूचना का किया विरोध, कहा यह छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन

चाईबासा: ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (AIDSO) ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, राँची द्वारा हाल ही में जारी उस अधिसूचना का कड़ा विरोध जताया है, जिसमें विश्वविद्यालय परिसर में धरना, प्रदर्शन, तालाबंदी और आंदोलन जैसी छात्र गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि इन गतिविधियों में शामिल छात्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
AIDSO की पश्चिमी सिंहभूम जिला कमेटी के सचिव सत्येन महतो ने इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का यह रवैया तानाशाही और छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान केवल पढ़ाई का केंद्र नहीं होते, बल्कि वे छात्रों के बौद्धिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास का भी माध्यम होते हैं।
AIDSO ने सवाल उठाया कि विश्वविद्यालय में वर्षों से छात्रसंघ चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है? संगठन ने कहा कि जब छात्रों की जायज मांगों की अनदेखी की जाती है, तब वे आंदोलन जैसे कदम उठाने को मजबूर होते हैं।
AIDSO के प्रदेश सचिव सोहन महतो ने कहा कि धरना और प्रदर्शन कोई अपराध नहीं है। हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी ने भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई थी। छात्रों को उनके हक और न्याय के लिए आवाज उठाने से रोकना, लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि झारखंड जैसे राज्य में, जहां छात्र अभी भी विभिन्न स्तरों पर शोषण का शिकार हैं, ऐसे में विरोध की आवाज को दबाना बेहद गंभीर और खतरनाक संकेत है।
AIDSO ने मांग की है कि झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों में छात्रों को शांतिपूर्ण ढंग से धरना और प्रदर्शन करने का अधिकार दिया जाए। साथ ही डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय से तुरंत अधिसूचना को वापस लेने की मांग की गई है।
संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो AIDSO छात्रों को एकजुट कर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।