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ओबीसी आरक्षण को लेकर आर-पार की लड़ाई का ऐलान, 1 अगस्त को विधानसभा सत्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी

 

चाईबासा: झारखंड में ओबीसी आरक्षण को लेकर विरोध तेज होता जा रहा है। बुधवार को चाईबासा सर्किट हाउस में गोप, गौड़ आरक्षण आंदोलन समिति के बैनर तले एक निर्णायक प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए जिला स्तर पर ओबीसी आरक्षण खत्म करने की “साजिश” के खिलाफ ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व समिति के प्रमुख रामहरि गोप ने किया। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री दीपक बिरुवा, विधायक निरल पूरती, सोनाराम सिंकू, सुखराम उरांव और जगत माझी समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

रामहरि गोप ने साफ तौर पर कहा कि झारखंड के सात जिलों चाईबासा, लातेहार, सिमडेगा, खूँटी, दुमका, लोहरदगा और गुमला में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की सरकारी भर्तियों में ओबीसी आरक्षण शून्य कर देना न केवल संविधान के अनुच्छेद 15(4), 16(4), और 340 का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक न्याय पर सीधा हमला है।

आंदोलन समिति की चार प्रमुख माँगें:

1. आगामी विधानसभा मानसून सत्र (1 अगस्त 2025) में ओबीसी आरक्षण को अनिवार्य करने हेतु विधेयक लाया जाए।

2. जिन जिलों में आरक्षण खत्म किया गया है, वहाँ तत्काल संशोधन कर ओबीसी वर्ग को पुनः प्रतिनिधित्व दिया जाए।

3. जातीय जनगणना 2011 के आँकड़े तत्काल सार्वजनिक किए जाएं।

4. सभी योजनाओं और सरकारी सेवाओं में जनसंख्या के अनुपात में संवैधानिक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए।

कैबिनेट मंत्री दीपक बिरुवा ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि समिति की माँगें जायज हैं और इन्हें विधानसभा में विधेयक के रूप में लाने की पहल की जाएगी।

प्रतिनिधिमंडल ने सरकार को 10 अगस्त 2025 तक का अल्टीमेटम दिया है। माँगें नहीं मानी गईं तो समिति विधानसभा के समक्ष अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल व राज्यव्यापी जनआंदोलन शुरू करेगी। रामहरि गोप ने स्पष्ट कहा कि यह लड़ाई केवल आरक्षण की नहीं, संवैधानिक अधिकार और सामाजिक न्याय की है।

इस दौरान समिति के प्रमुख रामहरि गोप के साथ लाला राउत, अरुण कुमार गोप, अनुज कुमार गोप, अनिल कुमार पान, श्री हरि गोप, कंचन गोप, विजय सिंह बारी, जयंत शंकर गोप, सुमंत कुमार गोप, सुदेश कुमार गोप और मनोज गोप समेत बड़ी संख्या में आंदोलनकारी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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