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ये है कोल्हान का साइलेंट किलर रात को निकलता है और सो रहे लोगों को उतारता है मौत के घाट

 

चाईबासा : ये है कोल्हान का साइलेंट किलर। इसका नाम है- कॉमन करैत। जबकि दूसरा नाम इंडियन करैत है। लोकल भाषा में इसे “चीति” सांप कहते हैं। इनकी गिनती भारत के चार सबसे जहरीले सांपों में होती है। जानकार तो ये भी मानते है कि इसका जहर सांपों के सम्राट किंग कोबरा से भी अधिक घातक होता है। जानकार बताते हैं, बरसात के मौसम में कोल्हान में सर्पदंश से जितनी मौतें होती हैं, उनमें से अधिकत्तर मौतों के लिये यही करैत जिम्मेदार होता है। कोल्हान के गांवों में इनकी उपस्थिति और सर्पदंश की घटनाएं आम हैं।

अंधेरे में दबे पांव आता है और शिकार को उतारता है मौत के घाट

करैत की विशेषता है कि दिन के उजाले में ये निष्क्रिय रहता है। लेकिन शाम ढलते ही ये पूर्णरूप से सक्रिय हो जाता है। इसलिये इसको साइलेंट किलर भी कहा जाता है।

अक्सर ये शिकार (आहार) की तलाश में इंसानी बस्तियों व घरों में घुस जाता है। जब इंसान से मुठभेड़ होता है, तो काट लेता है। या फिर सो रहे लोगों को चुपके से काट लेता है। चूंकि ये सांप कोल्ड ब्लाडेड होता है। इसलिये इसानी शरीर की गर्मी से ये खासे आकर्षित होते हैं और बिस्तरों में भी घुस जाते हैं।

करैत न्यूरोटॉक्सिक होते हैं जिससे लकवा तक होता है

करैत न्यूरोटॉक्सिक होते हैं। यह न्यूरोटॉक्सिन एक अत्यधिक शक्तिशाली प्रीसिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन से बना हुआ होता है, जो तंत्रिका टर्मिनलों से आवेगों को मांसपेशी रिसेप्टर्स तक स्थानांतरित होने से रोकता है। इससे लकवा भी फलित होता है। इसलिये सर्पदंश का एक ही सर्वमान्य इलाज है और वह है एंटी वेनम लेना। समय पर एंटीवेनम देने से व्यक्ति की जान बच सकती है।

झाड़ फूंक की परंपरा ले रही है जान

कोल्हान के आदिवासी गांवों में आज भी सर्पदंश का इलाज झाड़फूंक से कराने की प्राचीन परंपरा जिंदा है। हालांकि इससे आजतक किसी की जान नहीं बची है। फिर भी लोगों में विश्वास है कि मंत्रोच्चारण के बीच झाड़-फूंक करने से जहर बेअसर हो जाता है और व्यक्ति मरने से बच जाता है। जबकि मेडिकल साइंस कहता है कि करैत के जहर को केवल एंटी वेनम से ही काटा जा सकता है। वरना मौत निश्चित है। बावजूद आज भी कोल्हान में अशिक्षा की वजह से एक बड़ा वर्ग झाड़-फूंक पर ही आस्था रखता है जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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