574 किमी रेलवे नेटवर्क विस्तार को कैबिनेट की मंजूरी, 11,169 करोड़ की लागत से छह राज्यों के 13 जिलों में चार बहु-ट्रैक परियोजनाएं होंगी संचालित
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में भारतीय रेलवे की चार बहु-ट्रैकिंग परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹11,169 करोड़ है और इन्हें वर्ष 2028-29 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह परियोजनाएं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और झारखंड राज्यों के 13 जिलों को कवर करेंगी और रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 574 किलोमीटर की वृद्धि करेंगी।
स्वीकृत चार प्रमुख परियोजनाओं में इतारसी–नागपुर चौथी लाइन, छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद)–परभणी डबलिंग, अलीपुरद्वार रोड–न्यू जलपाईगुड़ी तीसरी एवं चौथी लाइन और डांगोआपोसी–जारोली तीसरी एवं चौथी लाइन शामिल हैं। इन बहु-लाइन परियोजनाओं से रेलवे की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे परिचालन दक्षता, सेवा विश्वसनीयता और गतिशीलता में भी सुधार होगा।
इन परियोजनाओं के निर्माण कार्यों से लगभग 2.29 करोड़ मानव-दिवस के प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “नए भारत” की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो स्थानीय स्तर पर आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देंगी और रोजगार/स्व-रोजगार के अवसर बढ़ाएंगी।
सभी परियोजनाएं प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत बहु-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाने की दृष्टि से नियोजित की गई हैं। इसके लिए समन्वित योजना और हितधारकों के परामर्श को प्राथमिकता दी गई है। इन परियोजनाओं से माल और यात्रियों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी, जिससे व्यापक क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।
लगभग 43.60 लाख की जनसंख्या वाले 2,309 गांव इन परियोजनाओं से सीधे जुड़ेंगे। प्रस्तावित बहु-ट्रैकिंग मार्ग कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम उत्पाद जैसे महत्वपूर्ण वस्तुओं के परिवहन में सहायक होंगे। अनुमान है कि इन मार्गों से 95.91 मिलियन टन प्रतिवर्ष अतिरिक्त माल यातायात का वहन किया जा सकेगा।
रेलवे एक पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा दक्ष परिवहन प्रणाली होने के नाते यह परियोजनाएं भारत के जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में भी योगदान देंगी। इससे देश के लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी, लगभग 16 करोड़ लीटर तेल आयात की बचत होगी और 515 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती होगी, जो लगभग 20 करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर है।
इन परियोजनाओं के माध्यम से केंद्र सरकार देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलित विकास और हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में एक और निर्णायक कदम उठा रही है।