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ओबीसी को आरक्षण नहीं तो चुनाव अस्वीकार्य: चाईबासा से उठी न्याय की आवाज

 

चाईबासा: आगामी नगर निकाय चुनाव में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण से वंचित रखने के विरोध में गोप-गौड़ आरक्षण आंदोलन समिति ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समिति के नेतृत्वकर्ता रामहरि गोप ने चाईबासा से राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी देते हुए कहा कि यदि ओबीसी को उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण नहीं मिला, तो यह सिर्फ चुनाव का बहिष्कार नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की निर्णायक लड़ाई होगी।

रामहरि गोप ने आंकड़ों के आधार पर कहा कि चाईबासा नगर परिषद क्षेत्र में कुल लगभग 37,000 मतदाताओं में से 20,000 से अधिक मतदाता ओबीसी समुदाय से आते हैं, जो कुल जनसंख्या का 55% से अधिक है। इसके बावजूद, ओबीसी के लिए आरक्षण शून्य रखना संविधान की भावना और सामाजिक न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 243-T में स्पष्ट प्रावधान है कि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को स्थानीय निकायों में आरक्षण मिलना चाहिए। “झारखंड में ओबीसी को योजनाबद्ध तरीके से राजनीतिक हाशिए पर धकेला जा रहा है, जिसे अब और नहीं सहा जाएगा,” – रामहरि गोप ने दो-टूक कहा।

समिति की प्रमुख मांगें:

1. चाईबासा नगर निकाय चुनाव में ओबीसी को जनसंख्या अनुपात में आरक्षण मिले।

2. आरक्षण निर्धारण में सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को भी आधार बनाया जाए।

3. पूरी प्रक्रिया पारदर्शी हो, और आयोग की अनुशंसा, वर्गवार जनगणना एवं पूर्व अधिसूचनाएं सार्वजनिक की जाएं।

रामहरि गोप ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ आरक्षण की मांग नहीं, बल्कि ओबीसी समुदाय के अस्तित्व, पहचान और संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई है। यदि हमारी आवाज को दबाने की कोशिश की गई, तो चाईबासा से उठी यह लहर पूरे झारखंड में बड़े जन आंदोलन का रूप ले लेगी।

समिति ने संकेत दिया कि आने वाले दिनों में जनजागरण अभियान, धरना-प्रदर्शन और संविधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।

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