सांप के काटने पर सतर्कता ही जीवन रक्षा का मूल मंत्र

जादूगोड़ा।सांप के काटने से हर साल सैकड़ों लोग जान गंवा देते हैं, जबकि अधिकतर मौतें समय पर सही इलाज न मिलने और झाड़फूंक जैसे अंधविश्वास में उलझ जाने के कारण होती हैं। खासकर पूरे कोल्हान जैसे क्षेत्र में, जहां ग्रामीण आबादी अधिक है, जागरूकता की कमी जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि सांपों का जहर तीन प्रकार का होता है—साइटोटॉक्सिन, न्यूरोटॉक्सिन और हीमोटॉक्सिन। ये क्रमशः मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र और खून पर असर डालते हैं, जिससे अंग विकृत होना, लकवा, अत्यधिक रक्तस्राव या मस्तिष्क को ऑक्सीजन न मिल पाना जैसी स्थिति बनती है।
अगर किसी को सांप काट ले, तो सबसे पहले उसे आसपास के अस्पताल और जादूगोड़ा UCIL अस्पताल या नजदीकी Kendadih Sadar Hospital ले जाना चाहिए, जहां एंटी-वेनम की व्यवस्था है। डॉक्टर की सलाह से ही इलाज हो; मरीज को कोई घरेलू दवा, शराब या ठंडी चीज न दें, उसे चलने न दें और अगर संभव हो तो सांप की स्पष्ट तस्वीर अस्पताल लेकर जाएं ताकि पहचान में मदद मिले। Jadugoda UCIL अस्पताल के सीएमओ डॉ. देबाशीष भट्टाचार्य के अनुसार, समय पर अस्पताल पहुंचने पर मरीज को बचाया जा सकता है।
सांपों को मारने के बजाय उनके प्रति जागरूक होना जरूरी है, क्योंकि वे पर्यावरण संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं। लोगों को चाहिए कि वे अंधविश्वास छोड़ तुरंत अस्पताल जाएं, क्योंकि पहली घंटी ही जीवन रक्षक होती है।