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बादलों की बेरुखी के बावजूद किसानों की उम्मीद कायम, धान रोपनी जोरों पर

 

जादूगोड़ा।कहा जाता है कि “उम्मीद पर ही दुनिया कायम है।” यही बात आज के किसानों पर सटीक बैठती है। पूर्वी सिंहभूम जिला में मानसून की दस्तक और कुछ दिनों की भारी बारिश के बाद अब किसानों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ नर्सरी से धान की रोपनी शुरू कर दी है। खेतों में सुबह से शाम तक किसान अपने पूरे परिवार के साथ जुटे हुए हैं। यहां तक कि दोपहर का भोजन भी अब खेत में ही हो रहा है।

किसान हल और बैल की सहायता से खेतों की जुताई कर रहे हैं, वहीं कई जगहों पर ट्रैक्टर से खेत तैयार किए जा रहे हैं। कहीं खाद डाला जा रहा है, तो कहीं धान के पौधे रोपे जा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-बाड़ी की तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है। हर कोई खेती के काम में व्यस्त है।

अगर मौसम ने कुछ दिनों तक अपना मिजाज नहीं बदला, तो यह खेती का उत्सव कई महीनों तक चलता रहेगा। खेतों का नजारा देखकर यह महसूस किया जा सकता है कि ग्रामीण जीवन में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। जादूगोड़ा से टाटा मुख्य मार्ग तक दोनों ओर अब हरियाली नजर आने लगी है। खेतों का पानी सड़क पर बहना अब आम दृश्य बन गया है। खेतों में जैसे ही पानी जमा हो रहा है, वैसे ही मेंढकों की टर्र-टर्र से खेत भी जीवंत हो उठे हैं।

इस बारिश भरे माहौल में बच्चे भी पीछे नहीं हैं। खेतों में मस्ती करते बच्चों की तस्वीरें इंस्टाग्राम, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। ये सभी तस्वीरें हमारे किसानों की उम्मीद और मेहनत की गवाही दे रही हैं। हर तस्वीर उनके संघर्ष और जज्बे को सलाम कर रही है।

खेती-किसानी का मौसम आते ही खाद और बीज दुकानों पर भीड़ बढ़ गई है। दुकानदार ग्राहकों को संभालने में व्यस्त हैं। वहीं ट्रैक्टर मालिकों ने भी मौके का पूरा फायदा उठाते हुए किराया बढ़ा दिया है। अब ट्रैक्टर खाली नहीं है — यह वाक्य ट्रैक्टर मालिकों का मुख्य संवाद बन चुका है। प्रति घंटे ₹100 से ₹200 की बढ़ोतरी अब आम बात हो गई है।

मौसम की बेरुखी और किसानों की समस्याओं को शब्दों में बयां कर पाना अब कठिन हो गया है, फिर भी उनकी उम्मीदें डगमगाई नहीं हैं। धान रोपनी के साथ उम्मीद की यह हरियाली क्षेत्र के विकास की ओर इशारा कर रही है।

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