दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर शोक की लहर, नेताओं ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की

चाईबासा: झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। चाईबासा समेत कोल्हान क्षेत्र में भी गुरुजी की स्मृतियों को याद कर लोगों की आंखें नम हो गईं।
पश्चिमी सिंहभूम जिला कांग्रेस के प्रवक्ता त्रिशानु राय ने सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि शिबू सोरेन का निधन सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है। उन्होंने कहा, “गुरुजी का जीवन संघर्ष, सेवा और संकल्प की मिसाल रहा। उन्होंने जंगल, पहाड़ और गांवों से लेकर संसद तक आदिवासी अस्मिता की आवाज बुलंद की। उनका हर संघर्ष झारखंड के माटी की चेतना में आज भी जीवित है।”
त्रिशानु राय ने आगे कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचारधारा थे जिन्होंने आदिवासी, दलित और वंचित समाज की पीड़ा को राजनीतिक चेतना में बदल कर झारखंड को अलग पहचान दी। जल, जंगल और जमीन की लड़ाई में उनका योगदान सदैव याद किया जाएगा।
वहीं, भाजपा पिछड़ा जाति मोर्चा के प्रदेश मंत्री हेमन्त कुमार केशरी ने भी गहरा दुख प्रकट करते हुए कहा, “दिशोम गुरु के निधन से पूरा देश मर्माहत है। उन्होंने आदिवासी-मूलवासी समाज के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया। झारखंड अलग राज्य निर्माण में उनका योगदान ऐतिहासिक रहा है। जब वे चाईबासा आते थे, तब मैं उनके भाषण सुनने गांधी मैदान जाया करता था। आज वे हमारे बीच नहीं हैं, यह शून्यता कभी नहीं भर पाएगी।”
उन्होंने कहा कि पवित्र श्रावण माह के अंतिम सोमवार को गुरुजी का निधन हुआ, यह बेहद भावुक कर देने वाला क्षण है। “ईश्वर से प्रार्थना है कि बाबा भोलेनाथ उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।”
गुरुजी के निधन पर पूरे राज्य में राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों के बीच शोक की भावना व्याप्त है। झारखंड की अस्मिता, अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई में उनका योगदान सदैव प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।