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पाकुड़ न्यायालय में आयोजित कानूनी कार्यशाला में बीएनएसएस, पोक्सो और एनडीपीएस कानूनों पर विशेषज्ञों ने रखे विचार

न्यूज़ लहर संवाददाता
पाकुड़।झालसा रांची के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़ के तत्वावधान में रविवार को पाकुड़ व्यवहार न्यायालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक दिवसीय जिला स्तरीय बहु हितधारक परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार पाकुड़, शेष नाथ सिंह ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया, जिसमें प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि, पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी, अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के चीफ सुबोध कुमार दफादर और बार एसोसिएशन के सचिव दीपक कुमार ओझा उपस्थित रहे।

कार्यशाला में बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) 2023, पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) और एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज़ अधिनियम) कानूनों से संबंधित प्रावधानों, उनके कार्यान्वयन की चुनौतियों और व्यावहारिक समाधान पर विस्तृत चर्चा की गई।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष नाथ सिंह ने अपने संबोधन में कार्यशाला के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम कानूनी पारदर्शिता, समन्वय और सामाजिक न्याय को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के आपसी सहयोग से कानून की प्रभावशीलता और न्याय प्रक्रिया की गति को बढ़ाया जा सकता है।

 

प्रधान न्यायाधीश कुटुंब न्यायालय सुधांशु कुमार शशि ने बीएनएसएस के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि यह अधिनियम पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेता है और डिजिटल साक्ष्य, इलेक्ट्रॉनिक संचार और फोरेंसिक विज्ञान जैसे आधुनिक तकनीकी पहलुओं को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल करता है। उन्होंने कहा कि यह कानून न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज, पारदर्शी और मानवाधिकारों के अनुरूप बनाता है।

पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी ने पोक्सो अधिनियम के तहत पीड़ित बच्चों की सुरक्षा, मेडिकल जांच, बयान दर्ज करने की प्रक्रिया, और अपराधियों की त्वरित गिरफ्तारी को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि पीड़ित की आयु निर्धारण के लिए जन्म प्रमाणपत्र, स्कूली दस्तावेज या चिकित्सीय परीक्षण का सहारा लिया जाता है ताकि मामले को सटीक रूप से दर्ज किया जा सके।

डॉ. मनीष कुमार ने पोक्सो मामलों में साक्ष्य एकत्र करने, पीड़ित की चिकित्सा जांच और उनके मनोवैज्ञानिक संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम कुमार क्रांति प्रसाद ने एनडीपीएस अधिनियम के अंतर्गत तलाशी, जब्ती, अभियोजन प्रक्रिया और इसमें पुलिस व अन्य एजेंसियों की भूमिका पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने महिलाओं के विरुद्ध अपराधों से संबंधित कानूनों पर भी बिंदुवार चर्चा की।

कार्यक्रम का संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव रूपा बंदना किरो ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी विशाल मांझी द्वारा किया गया। कार्यशाला में न्यायिक पदाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ मो. नुकूमुद्दीन, संजीव कुमार मंडल शेख, सहायक अज़फर हुसैन, विश्वास गंगाराम टुडू सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता व विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

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