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तांतनगर में खेतों के बीच ‘बेकार’ सरकारी नलकूप, ग्रामीण बोले– “पानी की प्यास नहीं बुझा, बस बोर्ड लगाकर काम पूरा”

न्यूज़ लहर संवाददाता
चाईबासा।पश्चिम सिंहभूम जिला स्थित मझगांव विधानसभा क्षेत्र के तांतनगर प्रखंड में सरकारी योजनाओं की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई है। सोमवार को दौरे पर पहुंचे पूर्व मंत्री और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बड़कुंवर गागराई की नजर ऐसे नलकूप पर पड़ी, जो सुनसान खेतों के बीच, गाँव से कई किलोमीटर दूर लगाया गया है।

यह नलकूप विधायक निधि से स्थापित किया गया है, लेकिन इसमें न पानी की स्थायी उपलब्धता है, न ही आसपास कोई बस्ती। ग्रामीणों की पहुंच यहां तक लगभग नामुमकिन है। खेतों के बीच बने इस नलकूप को देखकर पूर्व मंत्री ने सवाल उठाया – “जब गांव में पीने के पानी की कमी है, तो खेत में बना यह नलकूप आखिर किसके लिए है? क्या यह विधायक निधि का दुरुपयोग नहीं है?”

गागराई ने इसे “विकास के नाम पर दिखावा” बताते हुए कहा कि यह बोर्ड लगाकर खानापूर्ति करने जैसा काम है, जिसका लाभ न तो किसानों को मिल रहा है और न ही आम ग्रामीणों को। उन्होंने मांग की कि इस तरह के मामलों की जांच हो और जिन अधिकारियों या जनप्रतिनिधियों की लापरवाही से यह स्थिति बनी, उन्हें जवाबदेह ठहराया जाए।

स्थानीय लोगों में भी इस योजना को लेकर नाराजगी है। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने बताया – “हमारे घरों में पानी की किल्लत है, लेकिन यह नलकूप खेत में बना दिया गया है, जहां कोई भी इसका इस्तेमाल नहीं करता।” कई ग्रामीणों का कहना है कि अगर यही नलकूप बस्ती के बीच लगाया जाता, तो यह दर्जनों परिवारों की प्यास बुझा सकता था।

यह घटना ग्रामीण विकास योजनाओं की पारदर्शिता और निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब विधायक निधि जैसी महत्वपूर्ण राशि का उपयोग सुनसान और अनुपयोगी स्थान पर किया जाता है, तो यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि जनता के विश्वास के साथ भी खिलवाड़ है।

अब देखना यह है कि प्रशासन और संबंधित जनप्रतिनिधि इस मामले पर क्या कदम उठाते हैं। क्या यह नलकूप कभी अपने उद्देश्य को पूरा करेगा, या फिर यह भी अधूरी और बेकार सरकारी योजनाओं की लंबी सूची में एक और उदाहरण बनकर रह जाएगा?

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