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भगवान कृष्ण माखन चोर नहीं, बल्कि भक्तों के कष्टों के चोर हैं

न्यूज़ लहर संवाददाता
जमशेदपुर।आनंद मार्ग प्रचारक संघ अब भगवान कृष्ण के महिमा के प्रचार-प्रसार में जूट गया है। जिसके तहत बुधवार को शहर के लगभग पांच स्थानों पर भगवान कृष्ण के वास्तविक स्वरूप पर प्रवचन दिए गए। प्रवचन में बताया गया कि भगवान कृष्ण माखन चोर नहीं, बल्कि भक्तों के कष्टों के चोर हैं। वे बिना बोले ही अपने भक्तों का दुख हर लेते हैं, इसलिए उन्हें ‘हरि’ कहा जाता है। ‘कृष्ण’ का अर्थ है अपनी ओर आकर्षित करने वाला, और वे सृष्टि के केंद्र बिंदु से सूक्ष्म रूप में समस्त जगत को अपनी ओर खींचते हैं। सहस्त्रार चक्र पर विराजमान होकर वे जीवभाव को ईश्वर की ओर उन्मुख करते हैं।

प्रवचन में कहा गया कि मन की संकीर्णता आत्मा के विस्तार में बाधा है। जब यह कुंठा दूर होती है तो हृदय विस्तारित होकर वैकुंठ का रूप ले लेता है। यही आंतरिक वैकुंठ है, जहां ईर्ष्या, द्वेष, भय, लज्जा, मान-अपमान जैसे भाव समाप्त होकर केवल ईश्वर प्रेम शेष रहता है।

गोपीजन की अनन्य भक्ति का उदाहरण देते हुए बताया गया कि जब नारद ने उन्हें चेताया कि चरणधूल देने से पाप लगेगा और नरक मिलेगा, तब भी उन्होंने निःसंकोच अपने पैरों की धूल दे दी। उनका तर्क था कि यदि इससे उनके आराध्य स्वस्थ हो जाएं तो यह उनके लिए सबसे बड़ा सुख है। यही भक्ति की चरम अवस्था है।

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